डॉक्टर गुप्ता अभी अभी घर पहुंचे ही थे कि अचानक उन के मोबाइल कि घंटी बज उट्ठी डॉ गुप्ता ने मोबाइल स्क्रीन पर देखा कोई अनजान नंबर था वो इस वक़्त घर पर अकेले थे अभी कुछ दिन पहले ही वो हिल हाउस टाउन मे सेटल हुए थे..
उन के आने से टाउन वालो को बहुत राहत मिल गयी थी.
पहाड़ी इलाका था सर्दी अब बढ़ गयी थी डॉ गुप्ता कॉल रिसीव नहीं करना चाहते थे पर उन्होंने सोचा हो सकता है कोई बीमार पड़ गया हो डॉ गुप्ता ने कॉल रिसीव कि.....
"हेलो कौन बोल रहा है"-?
फ़ोन पर किसी औरत कि आवाज़ सुनाई दी....
"डॉ साहब इस वक़्त मेरी तबियत सही नहीं है मेरा नाम रुखसाना है"
"तुम्हें ये नंबर कैसे मिला"
"कैसी बात कर रहे हो डॉ साहब ये छोटा सा टाउन है और आप एक बहुत अच्छे डॉक्टर हैँ.. मैंने आप कि तारीफ़ बहुत लोगों से सुनी है कुछ मुश्किल नहीं था आप का नंबर पता करना"
तब ही डॉ गुप्ता को बिजली कड़कने कि आवाज़ सुनाई दी डॉ गुप्ता ने देखा बाहर बारिश शुरू हो चुकी थी..
"ठीक है मिस रुखसाना आप अपना पता दीजिये मेरा मतलब आप का घर कहाँ है"
उधर से आवाज़ आयी...
" डॉ साहब मैं हिल हाउस मे रहती हूं प्लीज जल्दी आईये मेरे दर्द बढ़ता जा रहा है"
उस औरत कि आवाज़ मे इतना दर्द था कि डॉ गुप्ता उसे मना नहीं कर पाए...
"ठीक है मैं आता हूं आप घबराओ नहीं"
"आप का बहुत बहुत शुक्रिया डॉ साहब"
ये कह उस औरत ने फ़ोन काट दिया
डॉ साहब हिल हाउस को जानते थे पूरे टाउन मे सिर्फ वो हिल हाउस ही था जो बहुत ऊंचाई पर बना था!
दिन में देखने में वह हिलहाउस दूर से देखने में बहुत ही खूबसूरत नजर आता था मगर डॉक्टर गुप्ता वहां पर कभी गए नहीं थे बस उन्होंने सुन रखा था कि उस हिल हाउस के पीछे एक बहुत खूबसूरत झील बहती है...
टाउन से हिलहाउस लगभग दो या तीन किलोमीटर दूर था
टाउन से हिलहाउस तक की सड़क पक्की बनी हुई थी इससे ज्यादा डॉक्टर गुप्ता कुछ नहीं जानते थे यह जानकारी भी उन्हें इसी गांव के रहने वाले एक व्यक्ति से मिली थी जो उस वक्त उनके क्लीनिक में कम्पाउण्डर था
डॉ गुप्ता ने बाहर की तरफ देखा अभी कुछ देर पहले बिजली कड़क रही थी और बारिश हो रही थी अब बारिश हल्की होने लगी थी मगर सर्दी पहले से बढ़ गई थी डॉ गुप्ता ने अपना ऊनि कोट पहना और हाथ में अपना बैग ले लिया जिसमें वह कुछ मेडिसिंस वगैरह रखते थे.................
फिर वो कार की तरफ चल दिए थोड़ी ही देर बाद उनकी कार सुनसान सड़क पर चलने लगी पहाड़ी की ओर चारों तरफ सन्नाटा फैला हुआ था यह गांव था और गांव के लोग अक्सर जल्दी सो जाया करते थे डॉक्टर साहब को चोरों से डर नहीं लगता था उन्हें बस डर था तो बस जंगली जानवरों का लेकिन इस वक्त वह अपनी कार में मेहफ़ूज़ थे..................
करीब बीस मिनट के बाद डॉक्टर गुप्ता की कार उस हिल हाउस के सामने खड़ी थी
डॉ गुप्ता ने हिलहाउस को दिन मे ही देखा था वह भी दूर से आज उन्हें पहली बार हिल हाउस को सामने देखने का मौका मिला था डॉ गुप्ता ने देखा अंदर और बाहर हिल हाउस मे सब जगह लाइट जल रही थी डॉ गुप्ता ने इस बात को महसूस किया कि हिलहाउस दूर से देखने में जितना बड़ा नजर आता है हकीकत में वह उससे भी बड़ा है........
तब ही डॉक्टर गुप्ता की नजर वहां पर खड़े एक शख्स पर पड़ी जो डॉक्टर गुप्ता को बहुत गौर से देख रहा था डॉ गुप्ता इससे पहले कुछ बोलते वह शख्स डॉक्टर गुप्ता के पास खुद चलता हुआ आ गया............
"डॉक्टर साहब मैं यहां का चौकीदार हूं मैं आप ही का इंतजार कर रहा था"
डॉ गुप्ता ने उस चौकीदार से कहा..
" मगर तुम अभी कुछ देर पहले इस गेट पर मुझे नहीं दिखाई दिए कहां थे"
डॉ गुप्ता की बात सुनकर वह चौकीदार थोड़ा सकपका गया.......
"डॉक्टर साहब अभी कुछ देर पहले यहां पर बारिश हो रही थी वह सामने सर्वेंट हाउस है मैं वहां पर था"
डॉ गुप्ता ने जब वहां पर देखा तो वाकई वहां पर एक सर्वेंट हाउस बना हुआ था वह भी अच्छा खासा बड़ा था....................
डॉ गुप्ता ने उस चौकीदार से पूछा....
"क्या नाम है तुम्हारा"
उस चौकीदार ने जवाब दिया...
"डॉक्टर साहब मेरा नाम जमील है"
डॉ गुप्ता ने उसे देख कर यह अंदाजा लगा लिया कि यह जरूर कोई नशा बगैरा करता होगा डॉ गुप्ता ने उससे पूछा...
" क्या तुम नशा बगैरा करते हो"
"जी डॉक्टर साहब कभी-कभी कर लेते हैं हम गरीब लोग हैं सर्दी से बचने के लिए एक मात्र नशा ही हमारा एक सहारा है"
"ठीक है मुझे अपनी मालकिन के पास ले चलो उनका मेरे पास फोन आया था "
फिर चौकीदार ने डॉक्टर गुप्ता को अपने पीछे आने का इशारा किया और डॉक्टर गुप्ता उस चौकीदार के पीछे पीछे चल दिए
वह चौकीदार बेधड़क हिल हाउस के अंदर चला आया डॉक्टर गुप्ता ने देखा दरवाजा खुला हुआ था.....
अंदर जाकर डॉक्टर गुप्ता ने देखा हिल हाउस की सारी लाइटें जल रही थी वह अंदर से और ज़्यादा बहुत खूबसूरत बना हुआ था
फिर चौकीदार ने डॉक्टर गुप्ता से कहा
"आइए मालकिन ऊपर है "
फिर चौकीदार सीढ़ियां चढ़ने लगा डॉक्टर साहब ने महसूस किया हिल हाउस में कम से कम तीस पैतिस कमरे तो आराम से होंगे वह भी बड़े बड़े हॉल नुमा.....
फिर डॉक्टर गुप्ता सीढ़ियां चढ़ते हुए चौकीदार के साथ ऊपर पहुंच गए ऊपर पहुंचकर डॉ गुप्ता ने देखा वहां पर एक कमरे के पास जाकर वह चौकीदार रुक गया और फिर उस चौकीदार ने उस दरवाजे को खटखटाया...
"मालकिन मालकिन क्या मैं अंदर आ सकता हूं डॉक्टर साहब आ गए हैं "
अंदर से एक औरत की आवाज आई....
"ठीक है जमील तुम उन्हें अंदर भेज दो"
डॉक्टर साहब इस आवाज को पहचानते थे क्योंकि अभी कुछ देर पहले ही फोन पर उनकी बात हुई थी डॉक्टर साहब ने यह अंदाजा लगा लिया कि यह आवाज रुखसाना की ही है चौकीदार ने दरवाजा खोल दिया और डॉक्टर साहब अंदर चले गए मगर चौकीदार बाहर ही रह गया....
अंदर जाकर डॉ गुप्ता ने देखा एक बहुत खूबसूरत औरत बेड पर लेटी हुई है मगर उस औरत के पास कोई मौजूद नहीं था डॉक्टर साहब उसके बेड के पास आ गए....
और मुस्करा कर बोले....
"क्या आप ही ने मुझे फोन किया था"
वह औरत डॉक्टर साहब को गौर से देखने लगी....
" हां डॉक्टर साहब मैंने ही आपको फोन किया था"
डॉक्टर गुप्ता ने देखा कि उसके चेहरे पर थकावट लग रही थी डॉक्टर साहब समझ गए कि दर्द ज्यादा बढ़ गया है फिर डॉक्टर गुप्ता ने उसकी नब्ज चेक की वो सही चल रही थी.....
"कहां दर्द है "
उस औरत ने अपने सर की तरफ इशारा किया...
"मेरे सर में बहुत दर्द है डॉक्टर साहब और मुझे कुछ बुखार भी महसूस हो रहा है"
"हां बुखार तो तुम्हें है जब मैंने नब्ज चेक की थी तो मैं समझ गया था लेकिन आप घबराओ नहीं मामूली सा बुखार है सर के दर्द कि वजह से बस तुम्हें ज़्यादा महसूस हो रहा है मैं यह कुछ दवाइयां लाया हूं इन्हें आप खा लीजिए आप ठीक हो जाएंगी और कल मैं फिर आपको चेक करने आ जाऊंगा"
डॉ गुप्ता के मन में जो सवाल था जिस को वो पूछना नहीं चाह रहे थे वह पूछ ही बैठे...
"आप के घर में कोई है नहीं क्या क्या आप यहाँ अकेली रहतीं हैँ "
वह औरत जिसका नाम रुखसाना था डॉक्टर गुप्ता की बात सुन कर मुस्कुरा दी..
"हां डॉक्टर साहब इस वक्त मैं घर में अकेली ही हूं मेरे बच्चे मेरी फैमिली बाहर गई हुई है और मैं नहीं जा सकती थी क्योंकि हिलहाउस को अकेले छोड़ ना सही नहीं है"
डॉक्टर गुप्ता ने अब उसके चेहरे को बहुत गौर से देखा उसकी उम्र करीब पैतिस या छत्तीस से ज़्यादा नहीं थी...
उसके नयन नैन खड़े थे वह देखने में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत थी...
पर डॉक्टर गुप्ता ने संकोच मे इस से कुछ ज्यादा नहीं पूछा...
"ठीक है मैं चलता हूं वैसे आप को इन दवाइयों से आराम मिल जाएगा फिर भी कोई और तकलीफ हो तो आप मुझे फ़ोन पर बता देना मेरा नंबर तो आप के पास है"
"और अगर आप चाहो तो कल मेरी क्लीनिक आ सकती हो"
"नहीं डॉक्टर साहब कल आप ही आ जाना यहाँ नेटवर्क कभी कभी नहीं आते क्या पता कल आप का नंबर मिले या ना मिले और जब तक मेरी फैमिली हिल हाउस नहीं आ जाती तब तक मैं हिल हाउस के बाहर नहीं जा सकती क्यों कि चोरो को इन्ही मौक़े कि तलाश रहती है"
फिर डॉ गुप्ता ने कुछ मुख्तसर सवाल पूछे और उन्होंने रुखसाना से इजाजत मांगी रुखसाना ने अपने पास रखे बैग में से कुछ पैसे निकाले और डॉक्टर गुप्ता को दे दिए डॉक्टर गुप्ता ने उस वक्त पैसे चेक नहीं किए और अपनी जेब में रख लिए फिर रुखसाना ने बड़ी ही इल्तजा भरे लहजे में डॉक्टर गुप्ता से कहा.....
"प्लीज कल आप इसी वक्त मुझे देखने आ जाइएगा"&
डॉ गुप्ता रुखसाना की बात सुन कर मुस्कुरा दिए...
"ठीक है कल मैं फ्री होकर आपको इसी वक्त देखने आ जाऊंगा आप टेंशन मत लीजिए"
यह कहकर डॉक्टर गुप्ता बाहर निकल आए और अपनी कार में बैठकर अपने घर चल दिए गए सुबह डॉक्टर गुप्ता उठकर अपने मामूल के मुताबिक अपने क्लीनिक चले गए और उनका सारा दिन मरीजों में ही बीता वह गांव था अक्सर मरीज़ डॉ गुप्ता के क्लीनिक आते रहते थे और डॉक्टर गुप्ता के इलाज से वहां के लोगों को बहुत ज्यादा फायदा था इसलिए डॉक्टर गुप्ता को फुर्सत नहीं मिलती थी कभी-कभी तो उनका दोपहर का खाना भी गोल हो जाता था शाम हो चुकी थी डॉ गुप्ता अपने घर जाने की तैयारी करने लगे तभी उनका कंपाउंडर डॉक्टर गुप्ता के पास आ गया
"डॉक्टर साहब मुझे थोड़े पैसों की जरूरत है "
डॉ गुप्ता ने अपने कम्पाउण्डर की तरफ देखा...
"ठीक है"
फिर उन्हें याद आया कि कल रुखसाना ने उन्हें उनकी फीस दी थी उस वक्त उन्होंने नहीं देखा था कितनी थी बस जेब में रख ली थी...
फिर उन्होंने अपनी कोट की जेब से रुखसाना के दिए हुए पैसे निकाले डॉ गुप्ता ने सोचा कि चलो देखते हैं कितनी है
डॉ गुप्ता ने जब उन पैसों को देखा तो वह सब दो हज़ार के नोट थे वह भी बीस डॉ गुप्ता यह देख कर चौक गए..
वो चालीस हज़ार रूपये थे....
डॉ गुप्ता ने सोचा..
' लगता है रुखसाना के कल सर में दर्द ज्यादा था हो सकता है उसने ध्यान ना दिया हो"
वरना उनकी फीस मुश्किल से बमुश्किल गांव में दो सौ या तीन सौ रूपये ही होती थी और वह भी गांव वाले बहुत मुश्किल से दे पाते थे..
रुखसाना मैं ध्यान नहीं दिया होगा कोई बात नहीं कल आज जाकर रुखसाना के पैसे लौटा दूंगा और आज की फीस तो लूंगा ही नहीं..
फिर उन्होंने अपने कम्पाउण्डर को जरूरत के मुताबिक उसको पैसे दे दिए और वह घर चले गए इस वक्त वह घर पर अकेले ही थे क्योंकि उनकी बीवी बच्चे घर से बाहर गए हुए थे डॉ गुप्ता ने घर पर खाना खाया और अपनी घड़ी चेक करी...
लगभग रात के दस बज गए थे फिर उन्होंने अपनी कार स्टार्ट की और हिल हाउस की तरफ चल दिए डॉ गुप्ता हिल हाउस के करीब पहुंचने ही वाले थे तभी उन्होंने देखा कि सड़क पर एक बहुत बड़ा पेड़ पड़ा हुआ है और रास्ता जाम है वह इस वक्त सड़क पर अकेले ही थे उन्होंने गाड़ी की लाइट से देखा सामने दो तीन पुलिसवाले वहां सामने बैठे आग से हाथ ताप रहे थे और उन कि जीप साइड पर खड़ी थी..
डॉ गुप्ता कार से बाहर निकलकर उन पुलिस वालों के पास चले गए पुलिस वालों ने डॉक्टर गुप्ता को देखा वो डॉ गुप्ता को पहचानते थे....
"क्या बात है डॉक्टर साहब इतनी रात गए वह भी आप इस रास्ते पर सब खैरियत तो है ना"
"हां मुझे हिलहाउस जाना था यह पेड़ यहां पर कब गिरा"
डॉ गुप्ता की बात सुनकर उन पुलिस वालों को जैसे सांप सूंघ गया हो और वह सब एक दूसरे को देखने लगे
फिर उसमें से एक पुलिस वाला उठा और डॉक्टर साहब से पूछने लगा...
"क्या कहा आपने डॉक्टर साहब "
"अरे वही जो जो तुमने सुना मुझे हिलहाउस जाना है"
डॉक्टर साहब कैसी बातें कर रहे हैं आप हिल हाउस में आप कैसे जा सकते हैं वहां तो कोई नहीं रहता...
क्या बात कर रहे हो तुम लोग कल ही तो मैं वहां पर गया था
फिर डॉक्टर गुप्ता ने कल कि बात उन्हें बताई....
वह पुलिस वाले एक दूसरे की शक्ल देखने लगे फिर उसमें से एक दूसरा पुलिसवाला उठा और डॉक्टर साहब से कहने लगा.......
"डॉक्टर साहब वह हिलहाउस कई सालों से वीरान पड़ा है वहां पर कोई नहीं रहता कोई टाउन वाला वहां पर दिन में भी नहीं जाता आप यह कह रहे हो कि आपके पास उस हिलहाउस से कोई फोन आया था और आपने उस औरत को जिसका नाम आप रुखसाना बता रहे हो उसको दवाई दी है डॉक्टर साहब यह मुमकिन नहीं यह नामुमकिन है जाइए अपने घर लौट जाइए आप अच्छे आदमी हैं इसलिए आपको सलाह दे रहा हूं"
डॉ गुप्ता एक पढ़े-लिखे आदमी थे वह उस पुलिस वाले की बात सुनकर गुस्से मे आ गए....
"क्या बकवास कर रहे हो तुम तुम्हें क्या लगता है मैं पागल हूं कल रात की ही तो बात है"
डॉक्टर साहब की बात सुनकर जिस पुलिस वाले ने उनसे कहा था कि डॉक्टर साहब आप घर जाइए वही डॉक्टर गुप्ता से कहने लगा....
"डॉक्टर साहब मैं आपकी बात कैसे मान लूं आप जिस रुखसाना की बात कर रहे हो उस रुखसाना को मरे हुए सालों हो गए वो हिल हाउस उसी का था हिल हाउस के बाहर ही उसकी कब्र बनी हुई है आप कह रहे हो कि हिल हाउस में लाइट्स जल रही थीं वह पूरा जगमगा रहा था ऐसा मुमकिन नहीं क्योंकि वहां अंधेरा ही रहता है वहां पर सिवाय मकड़ी के जालों और वीरानी के अलावा कुछ नहीं है "
फिर वह पुलिसवाला जोश में आकर बोलने लगा....
"हिल हाउस के पीछे जो एक झील बहती है वह दरअसल मौत की झील है मुझे नहीं पता डॉक्टर साहब आप सच कह रहे हो या झूठ कह रहे हो लेकिन आप पढ़े लिखे आदमी हो तो मैं आपकी बात पर यकीन करता हूं मैं भी इसी टाउन का रहने वाला हूं हमने बचपन में इस तरह की बातें बहुत सुनी है मगर डॉक्टर साहब आप खुश नसीब हो जो वहां से जिंदा बचकर आ गए जाओ अपने घर जाओ अगर आपको यकीन ना हो तो सुबह आकर हम से मिल लेना सुबह यह सड़क साफ हो जाएगी हम आपको खुद दिखा देंगे कि वह हिलहाउस वीरान पड़ा है"
डॉ गुप्ता उस पुलिस वाले की बात सुनकर खामोश हो गए और वह चुपचाप अपनी कार में बैठकर कार को मोड़ने लगे...
डॉ गुप्ता का इस वक्त दिमाग काम नहीं कर रहा था कार को बैक करके उन्होंने कार अपने घर की तरफ ले ली और वो ड्राइव करने लगे उनके मन में सैकड़ों सवाल चलने लगे कि कल ही तो वो रुखसाना से मिले थे मगर यह पुलिस वाले भी झूठ नहीं बोलेंगे तो कल जो उनके साथ हुआ वह क्या था वह लोग कौन थे डॉ गुप्ता समझ नहीं पा रहे थे फिर अचानक उन्हें ख्याल आया कि उनके मोबाइल पर एक फोन आया था डॉ गुप्ता ने रास्ते में अपनी गाड़ी रोक ली और मोबाइल चेक करने लगे उन्होंने वही नंबर निकाला जिस नंबर से रुखसाना का उनके पास फोन आया था फिर वह नंबर उन्होंने डायल किया.......
मगर यह क्या डॉ गुप्ता रुखसाना का मोबाइल नंबर डायल कर रहे थे मोबाइल यही बता रहा था कि यह नंबर मौजूद ही नहीं है.....
डॉग गुप्ता को अब वहशत सवार होने लगी
उन्होंने सोचा सुबह जाकर इस मसले को कैसे भी तरीके से हल करना है और डॉ गुप्ता को अपने ऊपर थोड़ा गुस्सा भी आने लगा फिर उन्होंने गाड़ी की रफ्तार बड़ा दी...
चलती गाडी मे अचानक उन्हें एक परछाई दिखाई दी उन्होंने अपनी गाड़ी की हेडलाइट से साफ-साफ उस परछाई को देखा फिर उन्होंने देखा सामने वही औरत थी जिसको वह कल देखने गए थे
वो रुखसाना थी.....
डॉ गुप्ता ने देखा कि वह वही कपड़े पहनी हुई थी जो कपड़े वह कल पहनी हुई थी जिन कपड़े को पहन कर कर वो बेड पर लेटी हुई थी.....
डॉ गुप्ता ने देखा रुखसाना अचानक जोर जोर से हंसने लगी डॉ गुप्ता ने जैसी ही अपनी गाड़ी रोकने कि कोशिश कि उनकी गाड़ी पेड़ से बुरी तरह से टकरा गई और डॉक्टर गुप्ता बुरी तरह से घायल हो गए अब डॉक्टर गुप्ता को बेहोशी तारी होने लगी
डॉक्टर गुप्ता की कार पलट गई थी और वो अपनी कार मे फंसे हुए थे.....
तभी पीछे से उन्हें पुलिस की जीप की सायरन की आवाज सुनाई दी वह सायरन की आवाज डॉक्टर गुप्ता की कार के बिल्कुल करीब आ गई और उन्हें आवाजें सुनाई देने लगी
अरे यह तो डॉक्टर गुप्ता है जो अभी-अभी हिल हाउस जा रहे थे....
तभी एक पुलिस वाला उनसे बोला.....
"मुझे पता था कि कुछ अनहोनी होने वाली है क्योंकि बहुत सालों बाद ऐसी घटना सुनने को आई है"
डॉ गुप्ता बेहोश थे मगर उन पुलिसवालों की आवाज साफ साफ सुनाई दे रही थी फिर उन पुलिस वालों ने डॉ गुप्ता को कार से बाहर निकाला....
फिर एक पुलिस वाले ने डॉक्टर गुप्ता की नब्ज चेक कि और अपने साथियों से कहा नब्ज चल रही है जल्दी हॉस्पिटल में एडमिट कराना होगा....
"हां वह तो ठीक है लेकिन सबसे पहले इनका होश में आना बहुत जरूरी है"
फिर उसमें से एक पुलिस वाले ने डॉक्टर गुप्ता को पकड़ कर झींझोड़ा और पानी कि छीट्टे उनके ऊपर मारी....
ठंडे पानी की छीटो से डॉक्टर गुप्ता को होश आ गया और वह उन पुलिसवालों को देखने लगे तभी उनकी नजर सामने फिर पड़ी उन्होंने साफ-साफ देखा कि वह परछाई उनके सामने मगर थोड़ी दूर उन्हें देखकर मुस्कुरा रही थी डॉ गुप्ता फिर बेहोश हो गए..............