नया ज़माना
हमें आएं दिन अपने बड़े-बुजुर्ग से सुनने को मिलता है कि अब ज़माना वो नहीं रहा.हमारा ज़माना,ज़माना हुआ करता था.बच्चे सभी बड़े-बुजुर्गो के पांव छुते थे,उनको सम्मान देते थे.आज कल के बच्चे न बड़ो को सम्मान देते है न उनकी बात सुनते है.बस अपनी ही मनमानी करते है.इस बात से मुझे अपने बड़े-बुजुर्गो की बात कुछ