ये पुस्तक एक सच्ची घटना पर आधारित लेखनी है जिसमें एक गांव की रहने वाली महिला के जीवन का सजीव घटना को शब्दो में वर्णित किया गया है एक चंचल , हंसमुख, मिलनसार और हमेशा प्रसन्न चित्त रहने वाली महिला जिसको उसके जीवन में एक गलती जो दुनियादारी की चालाकियों को न समझ पाने की वजह से हो गई क्योंकि हर इंसान खुद जैसा हो सबको समझने कीअक्सर भूल कर बैठता है,दिखावे की दुनिया में वो भी किसी के छलावे का शिकार हो गई और शिकार बनाने के बाद भी एक उसने जो किया बहुत शर्मनाक रहा कि इंसानियत को भी शर्मसार कर दिया अपनी हरकतों से एक सीधी सादी साधारण जीवन जीने वाली जिंदादिल महिला को जीने लायक नही छोड़ा और अपनी जिम्मेदारियों के कारण मर भी नही सकती एक व्यक्ति पर विश्वास करना इतना घातक भी हो सकता है कभी ये कल्पना से भी परे लगता है पुस्तक के माध्यम से मेरा युवा पीढ़ी को सिर्फ इतना सा संदेश है कि आज के युग में जैसा लोग खुद को दिखाते हैं वो बिल्कुल नहीं होते हैं और समय उनकी हक़ीक़त जिस रूप में सामने लाता है वो हमारी कल्पना में भी नही होता कहीं भरोसा करे लेकिन सावधानी जरूर रखे क्योंकि कुछ चेहरे व्यक्तित्व बयां नहीं करते और समझदार से समझदार भी मात खा जाते हैं