भूकंप की भयानक तबाही के बावजूद भी हरीश संयोग से सही-सलामत बच गया था। हां, सिर्फ मामूली चोटें आई थी। हालांकि वह गड़गड़ाहट की आवाज से मुर्छित जरूर हो गया था लेकिन थोड़ी देर के बाद ही, वह होश में भी आ गया । तब उसे भूकंप का यह भयानक दृश्य याद आने लगा. जब वह कमरे में बैठा चाय की चुस्कियाँ ले रहा था। उसकी पत्नी नीता, रसोई में नाश्ता तैयार कर रही थी और बच्चे, विद्यालय जाने के लिए व्यग्र थे। माता-पिता, भाई-बहन अपने-अपने कमरे में थे। तभी उसे धरती में कंपन महसूस हुई। अभी वह कुछ समझ पाता कि दीवारों पर टंगी तस्वीरें जमीन पर गिरने लगी। तब उसने घबराते हुए अपनी पत्नी को आवाजें लगाई ही थी कि दीवारों में दरारें होने लगी। यही नहीं, गड़गड़ाहट की भी जोरों से आवाजें होने लगी । उसके बाद, घरों की दीवारें अपने आप ठहने लगी जिसे देख कर, हरीश मुर्छित हो गया था परन्तु अब भी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह जीवित भी है ? आगे की कहानी पढ़ने के लिए शब्द.in पर बने रहे......
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