माता सती जब यज्ञ में भस्म हुई तो उनके क्रोध से 10 महाविद्याओ का जन्म हुआ । और यह 10 महाविद्या अपने भक्तों की दसो दिशाओं से रक्षा करती है ।
काली प्रथम महाविद्या
यह महाविद्या का प्रथम रूप है यह सभी प्रकार के गुणों से पूर्ण है रजोगुण तपोगुण ।
माँ काली अत्यंत त्रीव और उच्च स्वर करने वाली है कथा के अनुसार जब देवासुर संग्राम चल रहा था तब चण्डमुण्ड नाम केे दो दैत्य माता दुर्गा के पास उनको मारने के लिए पहुँचे उनके वचन सुनकर देवी अत्यंत क्रोधित हुई और क्रोध के कारण उनका शरीर काला पड़ गया । शरीर का रक्त सूख गया क्रोध के कारण शरीर का माँस जल गया । शरीर मे हड्डियां ही बची थी आँखो में रक्त उतर आया और आँखे बाहर निकली दिख रही थी और अत्यंत भयानक रूप देवी ने धारण किया । देवी काले चीते के चर्म को लपेटे हुए हाथ मे खंडक और पाश धारण किये थी मुख से रक्त टपक रहा था । गले मे विद्धुत की माला शोभा पा रही थी । बाल काले और खुले हुए थे । देवी सैकड़ो गीदड़ की भांति भयंकर आठस्स कर रही थी । बार बार मधु पान करके भयंकर शब्द उत्तपन कर रही थी ।उनकी स्वास की गर्मी और गति के कारण वह और विकराल दिख रही थी । देवी के उस विकराल रूप को देखकर कितने दैत्यो के प्राण निकल गए । देवता भी भय से कापने लगे थे । तब देवी ने चण्डमुण्ड का वध किया और भक्तो के लिये सौम्य रूप धारण किया । जिसकी आज हम लोग घर मे पूजा करते है और कई बार देवी काली ने भिन्न रूप धारण किया और प्रकट हुई ।
जय माँ काली ।