नमस्कार मित्रों
भारत वर्ष में नारी को कई विशेष अधिकार दिए गए हैं जो कि उसको अबला से सबला बनाने में सहायक होते हैं लेकिन कई बार ऐसा देखा गया है कि वो उन्ही का प्रयोग करके एक सभ्य समाज को दूषित करने का प्रयास करती हैं और किसी सम्मानित व्यक्ति को बदनाम करने की पूरी कोशिश करती हैं ऎसी महिलाओ के प्रति सम्मान की जगह एक ही शब्द निकलता है कुलटा
निजता का सम्मान करते हुए पात्रों और स्थानों के नाम बदल दिए हैं
बात 2017 की है एक मोहल्ला था ऋषिपुरम जहां हिन्दू धर्म मे 14 परिवार रहते हैं अधिकांश ब्राह्मण कुछ वैश्य और एक परिवार क्षत्रिय का था |
गली का नक्शा ऐसा था कि वो नगर की मेन रोड से जुड़ी हुई थी पीछे से बंद थी अतः मोहल्ले में सिर्फ मोहल्ले के लोग ही आते थे या उनसे मिलने वाले आते थे |
सभी मध्यमवर्गीय परिवार के थे और अधिकांश लोग अपना व्यवसाय या प्राइवेट नौकरी करते थे सिर्फ एक परिवार के मुखिया रिटायर्ड सरकारी सेवक थे जो सिर्फ 1 वर्ष पहले ही सेवानिवृत्त हुए थे |
गली के बाहर एक डॉक्टर की क्लिनिक थी उस पट्टी में कुल 9 घर थे
वही सामने वाली पट्टी में गली के बाहर राशन और डेयरी प्रोडक्ट की दुकान थी और उस पट्टी में कुल 8 घर थे |
चूंकि प्राइवेट नौकरी में ज्यादा वेतन नही मिलता था अतः कुछ लोगो ने अपने घर मे 1 या 2 कमरे किराए पर भी दे रखे थे जिससे उनकी आय का स्रोत बढ़ जाता था और अगर कभी घर मे कोई नही है तो देख भाल करने वाले रहते थे घर मे |
किराए दार को भी एक परिवार की तरह ट्रीट किया जाता था जिससे वो भी कभी अपने आप को मोहल्ले से अलग नही मानते थे और सुख दुख में साथ रहते थे |
परिवारों आपस मे भले कोई गीला सिकवा हो पर बाहरी लोगों के लिए सब एक जुट रहते थे मजाल नही था कोई बाहरी आकर कुछ गलत बोल जाए | गली का पहला मकान 1982 में बना था तब से अब तक सभी एक जुट होकर रहते हैं |
इसी डॉक्टर की क्लिनिक वाली पट्टी में एक वैश्य परिवार रहता था जिसमे उनकी मा 2 बेटे 1 बेटी थे | बेटी की शादी हो गयी थी,बड़े बेटे का शहर में बहुत बड़ा व्यापार है जिसके चलते वो उसकी पत्नी और उसके बेटे बेटी शहर में ही जा कर बड़े से घर मे रहने लगे , अब घर मे सिर्फ बूढ़ी मा (जो नजर से कमजोर थी) और छोटा बेटा उसकी पत्नी और एक छोटी बेटी रहते थे |
चूंकि मकान दो मंजिल का है अतः पूरे घर की साफ सफाई करना मुश्किल हो रहा था |
छोटे बेटे की आमदनी भी ज्यादा नही थी अतः वो नौकर भी नही रख सकते थे इसी क्रम में उन्होंने एक किराए दार रखने का निर्णय लिया ...
इसी क्रम में उन्होंने दो किराए दार परिवार रखे एक सिलाई का काम करता था उस परिवार में 5 लोग थे 3 लड़के और माँ बाप , एक दूसरा परिवार रखा जिसमे अभी सिर्फ एक महिला जो देखने मे काफी गंदी सी लग रही थी गुटखा की वजह से उसके दांत पीले और दागी थे | बालों को देख कर लग रहा था नहाने में कई वर्ष लगाती हो | व्यवसाय पूछने पर पता चला वाओ फेरी करती है और कोस्टमेटिक का सामान घर घर बेचती है | कुछ महीने बाद उसके यहां एक युवक और एक युवती रहने आये जिनको वो अपना बेटा और बेटी बता रही थी | देखने मे लग नही था क्योकि वो साफ सुथरे और अच्छे घर के लग रहे थे | और उसने बताया कि उसका एक और बड़ा बेटा है जो मुंबई में रहता है |
करीब 1 साल तक वो काफी मिल जुल कर रहने लगी और बूढ़ी मकान मालकिन को चाय नास्ता उनकी देखरेख आदि करने लगी |
फिर क्या हुआ ? उस किराए दार ने ऐसा क्या किया कि उनके परिवार को घर बेचना पड़ा ? मोहल्ले में इसके क्या प्रभाव पड़े? जानने के लिए आगे प्रकाशित होने वाले भागों का इंतज़ार करें 🤗
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