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कलयुग में अब ना आना रे प्यारे कृष्ण कन्हैया

18 जनवरी 2016

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कलयुग में अब ना आना रे प्यारे कृष्ण कन्हैया,

तुम बलदाऊ के भाई यहाँ हैं दाउद के भैया।।

दूध दही की जगह पेप्सी, लिम्का कोकाकोला
चक्र सुदर्शन छोड़ के हाथों में लेना हथगोला
काली नाग नचैया। कलयुग में अब. . .।।

गोबर को धन कहने वाले गोबर्धन क्या जानें
रास रचाते पुलिस पकड़ कर ले जाएगी थाने
लेन देन करके फिर छुड़वाएगी जसुमति मैया।
कलयुग में अब. .  .।।


नंद बाबा के पास गाय की जगह मिलेंगे कुत्ते
औ कदंब की डार पे होंगे मधुमक्खी के छत्ते
यमुना तट पर बसी झुग्गियों में करना ता थैया।
कलयुग में अब. . .।।


जीन्स और टीशर्ट डालकर डिस्को जाना होगा
वृंदावन को छोड़ क्लबों में रास रचाना होगा
प्यानो पर धुन रटनी होगी मुरली मधुर बजैया।
कलयुग में अब. . .।।


देवकी और वसुदेव बंद होंगे तिहाड़ के अंदर
जेड श्रेणी की लिए सुरक्षा होंगे कंस सिकंदर
तुम्हें उग्रवादी कह करके फसवा देंगे भैया
कलयुग में अब. . .
।।


विश्व सुंदरी बनकर फ़िल्में करेंगी राधा रानी
और गोपियाँ हो जाएँगी गोविंदा दीवानी
छोड़के गोकुल औ' मथुरा बनना होगा बंबइया।
कलयुग में अब. . .।।


साड़ी नहीं द्रौपदी की अब जीन्स बढ़ानी होगी
अर्जुन का रथ नहीं मारुति कार चलानी होगी
ईलू-ईलू गाना होगा गीता गान गवैया।
कलयुग में अब. . .।।


आना ही है तो आ जाओ बाद में मत पछताना
कंप्यूटर पर गेम खेलकर अपना दिल बहलाना
दुर्योधन से गठबंधन कर बनना माल पचइया।
कलयुग में अब. . .।।

रवीन्द्र  सिंह  यादव

रवीन्द्र सिंह यादव

धारदार व्यंग से लबालब है यह रचना.

6 फरवरी 2016

मदन पाण्डेय 'शिखर'

मदन पाण्डेय 'शिखर'

कहाँ अब कान्हा , कहाँ राधा ज्ै्स्ी् प्््र्ी्त् रही जो ब्ी्त्ा् है उ्स्े् चाहा है य्ह्ी् व्क़्््त् की र्ी्त् रही सुन्दर अति स्ु्न्््द्र्...,

19 जनवरी 2016

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नन्ही सी बिटिया!

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नन्ही सी बिटिया,बांधे छोटी सी चुटिया,साईकिल पर है सवार,हंसते- खेलते जाने को स्कूल है तैयार,निकल पड़ी हैं, ऊँची-नीची राह पर,सबसे लोहा लेने को है तैयार,पढ़-लिख कर ये बिटिया करेगी,सबके सपने साकार,इक दिन, ये बिटिया बड़ी हो जायेगी,अपने परिवार का नाम रोशन करवाएगी,समाज में अपनी पहचान बनाएगी,शादी कर अपने ससुरा

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गणेश-वंदना

17 सितम्बर 2015
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गणेश चतुर्थी के अवसर पर प्रथम पूज्य भगवान "श्री गणेश" की आराधना, गणेश वंदना के साथ कीजिये। आप सभी को, गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई।गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि ।गुणशरीराय गुणमण्डिताय गुणेशानाय धीमहि ।गुणातीताय गुणाधीशाय गुणप्रविष्टाय धीमहि ।एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।गजेशानाय भालचन्

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महिला सुरक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक प्रयास: वूमन पावर लाइन १०९०

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तब याद आता है बचपन!

19 सितम्बर 2015
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यादों के भंवर से ,पीछे मुड़ कर देखते हूँ तब याद आता है बचपन,रोजमर्रा ज़िन्दगी से जब ऊब जाती हूँ, तब मुस्कराता है बचपन,स्वछंद हंसी देखती हूँ,तो नटखट ढंग से लजाता है बचपन,चॉकलेट और टॉफ़ी देखती हूँतो मनचले सा मचल जाता है बचपनबस्ता टाँगे, कॉपी लिए किसी बच्चे को जाते देखते हूँ,तब याद आता हैं बचपन,खेल-खिलौन

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मन का दीपक!

24 सितम्बर 2015
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जब कभी जीवन में अंधियारा छाए कहीं,मन के दीपक तुम जलते रहना,जब कभी मार्ग में बाधा आये कोई,मन के दीपक तुम निस्तेज न होना,जीवन पथ पर काटें बिछ जाएं कभी,मन के दीपक, तुम मुस्कुराते रहना,भीषड़ आँधियों में और बारिशों में,अपनी लौ बुझने न देना,मन के दीपक, तुम्हारी शक्ति हो ऐसी,तुम ज़िन्दगी की मुश्किलों से जूझत

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सत्य और अहिंसा की आंधी, महात्मा गांधी के प्रेरक उद्घोष!

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नवरात्रि क्विज़!

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कालिज स्टूडैंट (हास्य कविता)- काका हाथरसी

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ताकि हँसता खिलखिलाता रहे, बचपन!

27 नवम्बर 2015
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कुछ अधूरे से ख्वाब,कुछ अनकही बातें,कुछ मुश्किल हालत, न हो तो #ज़िन्दगी  बेज़ार हो जाएँ ,ज़िन्दगी जीने का लुत्फ़ तभी हैं जनाब,जब ज़िन्दगी में हो चुनौतियां हज़ार, फिर भी, होठों पर हो ऐसी मुस्कानकी शरमा जायें आफताब।   

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कलयुग में अब ना आना रे प्यारे कृष्ण कन्हैया

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कलयुग में अब ना आना रे प्यारे कृष्ण कन्हैया,तुम बलदाऊ के भाई यहाँ हैं दाउद के भैया।।दूध दही की जगह पेप्सी, लिम्का कोकाकोलाचक्र सुदर्शन छोड़ के हाथों में लेना हथगोलाकाली नाग नचैया। कलयुग में अब. . .।।गोबर को धन कहने वाले गोबर्धन क्या जानेंरास रचाते पुलिस पकड़ कर ले जाएगी थानेलेन देन क

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कलयुग में अब ना आना रे प्यारे कृष्ण कन्हैया

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