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कामिनी सिन्हा की पुस्तकें

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जिस तरह हर इंसान का जिंदगी जीने का अपना ही अंदाज़ होता है उसी तरह जीवन को, जीवन की परिस्थितियों को, समाज को और यह तक की व्यक्ति विशेष को देखने का भी उसका अपना एक नज़रिय

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<p style="text-align: justify; "><strong> जिस तरह हर इंसान का जिंदगी जीने का अपना ही अंदाज़ होता है उसी तरह जीवन को, जीवन की परिस्थितियों को, समाज को और यह तक की व्यक्ति विशेष को देखने का भी उसका अपना एक नज़रिय

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कामिनी सिन्हा के लेख

आईं झुम के बसंत....

10 फरवरी 2022
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बसंत अर्थात "फुलों का गुच्छा", बसंत, अर्थात  "शिव के पांचवें मुख से निकला एक राग" बसंत जिसके "अधिष्ठाता देवता ही कामदेव" हो, ऐसे ऋतु के क्या कहने।"बसंत" इस शब्द के स्मरण मात्र से ही दिलों में  फुल

दे दो ऐसा वरदान...

31 अगस्त 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425242f7ed561c89

सच्ची प्रहरी तो तुम हो "माँ"

30 अगस्त 2021
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<p>कहते हैं, सब मुझको "सैनिक"</p> <p>पर, सच्ची प्रहरी तो तुम हो "माँ" </p> <p>मैं सपूत इस

धरती की करुण पुकार

7 अगस्त 2021
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हे! मानस के दीप कलशतुम आज धरा पर फिर आओ।नवयुग की रामायण रचकर मानवता के प्राण बचाओं ।आज कहाँ वो राम जगत में जिसने तप को गले लगाया ।राजसुख से वंचित रह जिसने मात - पिता का वचन निभाया । सुख कहाँ है वो राम राज्य का ?वह सपना तो अब टूट गया ।कहाँ

आस्था और विश्वास का पर्व -" छठ पूजा "

31 अक्टूबर 2019
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" छठ पूजा " हिन्दूओं का एक मात्र ऐसा पौराणिक पर्व हैं जो ऊर्जा के देवता सूर्य और प्रकृति की देवी षष्ठी माता को समर्पित हैं। मान्यता है कि -षष्ठी माता ब्रह्माजी की मानस पुत्री हैं,प्रकृति का छठा अंश होने के कारण उन्हें षष्ठी माता कहा गया जो लोकभाषा में छठी माता के नाम

जाने चले जाते हैं कहाँ ......

23 सितम्बर 2019
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जाने चले जाते हैं कहाँ ,दुनिया से जाने वाले, जाने चले जाते हैं कहाँ कैसे ढूढ़े कोई उनको ,नहीं क़दमों के निशां अक्सर मैं भी यही सोचती हूँ आखिर दुनिया

गाना : हँसते आँसु

27 जून 2019
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हजारो तरह के ये होते हैं आँसुअगर दिल में गम हैं तो रोते हैं आँसुख़ुशी में भी आँखे भिगोते हैं आँसुइन्हे जान सकता नहीं ये जमानामैं खुश हूँ मेरे आँसुओं पे न जानामैं तो दीवाना ,दीवाना ,दीवाना "मिलन " फिल्म का ये गाना वाकई लाजबाब हैं। आनं

दम तोड़ती भावनायें

20 मई 2019
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"क्या ,आज भी तुम बाहर जा रहे हो ??तंग आ गई हूँ मैं तुम्हारे इस रोज रोज के टूर और मिटिंग से ,कभी हमारे लिए भी वक़्त निकल लिया करो। " जैसे ही उस आलिशान बँगले के दरवाज़े पर हम पहुंचे और नौकर ने दरवाज़ा खोला ,अंदर से एक तेज़ आवाज़ कानो में पड़ी ,हमारे कदम वही ठिठक गये। लेकिन तभी बड़ी शालीनता के साथ नौकर न

यादें

2 मार्च 2019
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"बहुत खूबसूरत होती है ये यादों की दुनियाँ , हमारे बीते हुये कल के छोटे छोटे टुकड़े हमारी यादों में हमेशा महफूज रहते हैं,

जीवन का अनमोल "अवॉर्ड "

8 जनवरी 2019
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" नववर्ष मंगलमय हो " " हमारा देश और समज नशामुक्त हो " नशा जो सुरसा बन हमारी युवा पीढ़ी को निगले जा रहा है ,

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लेख पढ़िए