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धरती की करुण पुकार

7 अगस्त 2021

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हे! मानस के दीप कलश

तुम आज धरा पर फिर आओ।

नवयुग की रामायण रचकर

मानवता के प्राण बचाओं ।


आज कहाँ वो राम जगत में

जिसने तप को गले लगाया ।

राजसुख से वंचित रह जिसने

मात - पिता का वचन निभाया ।


सुख कहाँ है वो राम राज्य का ?

वह सपना तो अब टूट गया ।

कहाँ है राम-लक्ष्मण से भाई ?

भाई से भाई अब रूठ गया ।


सुन लो अब अरज ये मेरी

मैं धरती जननी हूं तेरी

दे दो, ऐसे राम धरा को

जो भ्रष्टाचार को दूर भगा दे ।

दे दो, ऐसे कृष्ण मुझे तुम

जो द्रोपदी की लाज बचा ले ।


दे दो, लक्ष्मण जैसे भाई

जो भाई का साथ निभा दे।

लौटा दो, वो अर्जुन तुम मुझको

जो धर्मयुद्ध का मर्म समझा दे‌।


हे!मेरे मानस पुत्रों

मेरी करुण पुकार तुम सुन लो।

दहक रहा है आंचल मेरा

आओ, धरा की लाज बचा लो ।


आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

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