जिस तरह हर इंसान का जिंदगी जीने का अपना ही अंदाज़ होता है उसी तरह जीवन को, जीवन की परिस्थितियों को, समाज को और यह तक की व्यक्ति विशेष को देखने का भी उसका अपना एक नज़रिया होता है ,अपना एक दृश्टिकोण होता है. वो अपनी ही नज़रिये से हर परिस्थिति को देखता है, समझता है, संभालता है और सीखता भी है. यु कहे कि सारा खेल नज़र और नज़रिये का है. जैसे एक गिलास में आधा गिलास पानी है तो उसे देख कर कोई गिलास आधा भरा कहेगा तो कोई आधा खाली. ऐसी एक दृस्टि या दृस्टिदोष के कारण कोई अपनी बिगड़ी ज़िंदगी सुधर लेता है तो कोई अपनी सुधरी- सवरी ज़िंदगी बिगड़ लेता है. जीवन को और इस जीवन की परिस्थितियों को मैंने किस नज़रिये से देखा है और कैसे सीखा है ये मैं यहां आप सब से साझा करुँगी आप भी मेरे इस पेज से जुड़ कर अपना अनुभव साझा करे ताकि हम अपनी अगली पीढ़ी को कुछ सीखा सके और कुछ उनसे भी सीख सके .मेरे इस पेज का सिर्फ यही उदेस्य है कि हम एक दूसरे से अपने जीवन का अनुभव साझा कर उन छोटी छोटी ख़ुशी को फिर से ढूढ़ सके जो हमसे हमारी छोटी छोटी भूल के कारण खो गई या हम उन छोटे छोटे कारणों को ढूढ़े जिनके वज़ह से हमारे जीवन में बड़े बड़े बड़े गम आ गए है.