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खाली पियाली

12 मार्च 2022

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गाफिल नींद में चल कर आया मयकश जब मयखाने में
खाली - खाली जाम पडे थे सूने से मयखाने में

खाली पियाली उसने उठा ली हसरत भरी नजर इक डाली
फिर आया जोश दिवाने में खाली पियाली चूम रहा था
और दिवाना झूम रहा था कैसी खुशी थी कैसा नशा था
कैसी खुशी थी कैसा नशा था प्यासे उस मस्ताने में

गाफिल नींद में चलकर आया मयकश जब मयखाने में
खाली - खाली जाम पडे थे सूने से मयखाने में

खाली - खाली मय का सागर खाली मय के दरिया ताल
थामें - थामें खाली पियाली बेकश था वो हाल बेहाल
खाली पियाली की खनखन में दिवाने की हर धडकन में
गूंज उठे प्यासे पैगाम आ मेरे साकी ले के सुराही
आ मेरे साकी ले के सुराही मय भर दे पैमाने में

गाफिल नींद में चल कर आया मयकश जब मैखाने में
खाली - खाली जाम पडे थे सूने से मयखाने में

साकी ने भी नजर चुरा ली खाली पियाली रह गई खाली
नफरत भरी नजर इक डाली फिर खोया होश दिवाने ने
खाली पियाली चूम रहा था और दिवाना झूम रहा था
कैसी ख़लिश थी कैसा गिला था प्यासे उस मस्ताने में

गाफिल नींद में चल कर आया मयकश जब मयखाने में
खाली - खाली जाम पडे थे सूने से मयखाने में

खाली निगाहें बनी सवाली होठों पे प्यासे थे सवाल
और सवालों के जवाब थे खाली खाली सवाल औ खाली जवाब
खाली सवालो की सुलझन में खाली जवाबों की उलझन में
भडक उठा प्यासा नादान आ मेरे साकी देख तबाही
तू देख इसी मयखाने में

गाफिल नींद में चलकर आया मयकश जब मयखाने में
खाली खाली जाम पडे थे सूने से मयखाने में

तेरी सारी बोतल खाली खाली तेरी बोतल सारी
 दिवाने ने कसम उठा ली न मय पीना ना मै जीना
ना मय पीना ना मै जीना बूंद बूंद पर मेरा नाम
हाय री मेरी अंधी किस्मत प्यास हो गई आज निलाम

ऐसी प्यास जो सागर पी गई, पी गई उसकी उम्र तमाम
प्यासा दिवाना, प्यासा - प्यासा चल बसा इसी मयखाने में
गाफिल नींद में चल कर आया मयकश जब मयखाने में
खाली - खाली जाम पडे थे सूने से मयखाने में
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रचनाएँ
महफिलें जाम ओ मीना
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मय, मयकश, मयकशीऔर मयखाना यह विषय बहुतो का पसंदीदा विषय है और बहुतो के लिए हमेशा से एक विचारणीय विषय भी रहा है। अनेक रचनाकारों ने इस विषय पर अपनी-अपनी शैली में रचनाओं का सृजन किया। आदरणीय सुप्रसिद्ध कवि श्री हरिवंश राय बच्चन की कलम से इस विषय पर कालजयी रचना "मधुशाला" का सृजन हुआ जिसे अद्भुत कृति कह सकते हैं दुनिया की अन्य अनेक भाषाओं में जिसका अनुवाद भी हुआ। मेरा यह कविता संग्रह भी इसी विषय पर है। हर रचना एक विषय पर आधारित है किन्तु हर बार अलग अलग भावों को दर्शाती है। पाठको के समक्ष अपनी इस स्वरचित व मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित रचनाओं को प्रस्तुत करते हुए हर्ष का अनुभव कर रही हु।
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दिवाने को बहंका गई

7 मार्च 2022
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सुराही चुलबुली थीपैमाना झूमता थामस्तानी बेखुदी मेमस्ताना झूमता थामयखाना मनचला था औ साकी मनचली थीदिवाना दिलजला था पियाली छलछली थी

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महल है मयखाना

7 मार्च 2022
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हजार शाहखानो काइक महल है मयखाना दर पे आएं है अगर तो बंदगी कर लिजिए खुश्बू ए मय है येजो महसूस किजिएउठाईए जाम के फिरसुराही चूम लिजिए ्हर सूं महक है एकजानी पहचानी सी जी चाहे जितन

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"पहली बार)" - 3

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<div>जिसने पी है पहली बार</div><div>वो शरमा के पी गया</div><div>के सर झुका के पी गया</div><div>के छुप - छुपा के पी गया</div><div><br></div><div>बेमौत मर रहा था जो</div><div>वो घबरा के पी गया</div><div

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हमसे जलता है जमानासाकी दे दे तू पैमाना यूं ही जलता है, जलता रहेगा जमाना &nbsp

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भीगा मौसम

8 मार्च 2022
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बोतलें

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दो अजनबी को दोस्त बनाती हैं बोतलें नजदीकियों को और पास लाती है बोतलेंहंसने वालो के साथ खिलखिलाती है बोतलें रोने वालों को भी खूब रुलाती है वह बोतलें देखिए कैसे-कैसे गुल खिलाती हैं बोतलें

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सुब्होशाम खुलेगी ये सरे आम खुलेगीबोतल है ये शराब की हर गाम खुलेगी बंद कमरे और खुले आसमान खुलेगीआंधी में खुलेगी और तूफां मे खुलेगीये दोस्तो की दोस्ती के पैगाम खुलेगीहो दुश्मनी तो दुश्मनी के ऐलान ख

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थोड़ी सी पी ली है

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इकबाल बलंद हैं

11 मार्च 2022
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शराब कैसी होती है?

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अभी खुली बस एक ही बोतलबस - बस महफिल कहती हैंतुम क्या जानो दुनिया वालों ये शराब कैसी होती है?नखरे वाली नार के जैसीतल्ख उसके इंकार के जैसी गर पीने पे आ जाओ तोलगती है इकरार के जैसी मैने खो

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" शराब तो खराब नही "

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शराब तो खराब नहीखराब ये शराब नही शराब तो मुराद है जो उम्र बेमियाद हैगर जिंदगी अजाब है तो हांथ में शराब ले औ चंद घूंट पी के तूनशे में मय के डूब जा फिर झूमकर कहेगा तूकि जिंदगी ह

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पीता हू

14 मार्च 2022
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कोई कहता है कि मैं पीते - पीते सोता हूंकोई कहता है कि मैं सोते - सोते पीता हूंजाने कौन सच कहता हैऔर कौन कहता है झूठमै तो पीता हूं, पीता हूंहां फकत मै पीता हूँए उम्र मुझसे चला चली की जिक्र न करमै तो ते

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