रायपुर के सेठ रतन लाल जी के तीन बेटे थे। जिसमे से बड़े बेटे नीलम उनके ही सोने चांदी के व्यापार में अपना हाथ बंटाने लग गये। मंझले बेते पुखराज बिल्डर बनने की राह में अग्रसर हो गया। वहीं उनका तीसरा सुपुत्र अध्यापन व लेखन के क्षेत्र में आगे बढने की इच्छा रखने लगा था। आगे जाकर तीनों का सामाजिक जीवन कितना गौरव शाली रहा इसके बारे में अनुमान लगाना ज़रा मुश्क़िल है।
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