shabd-logo

क़िस्मत अपनी अपनी ( कहानी अंतिम क़िश्त)

21 फरवरी 2022

39 बार देखा गया 39
क़िस्मत अपनी अपनी   [अंतिम क़िश्त ]

इस तारत्मय में सबसे पहले शासन ने मोतीलाल जी की अंत्येष्टि के स्थान को  जैन समाज के मुक्तिधाम  से बदलकर स्टेडियम के अंदर निर्धारित करवा दिया । इसकी मुख्य वजह लोगों की असामान्य भीड़ ही थी । 

मोतीलाल जी की अंतिम यात्रा लगभग चार घंटे चलकर स्टेडियम पहुंची । उनकी इस यात्रा में जैन समाज के लोगों से ज्यादा दूसरे समाज व धर्म के लोग थे । इस यात्रा में जितने बड़े बड़े नामी गिरामी लोग थे उससे कई गुना ज्यादा गरीब तबके के लोग थे । इस यात्रा में छोटे छोटे विद्धार्थियों की संख्या भी बहुत ज्यादा थी । दाह संस्कार के बाद श्रद्धा सुमन अर्पित करने  का कार्यक्रम भी 2 घंटों तक चला । वापसी में लोगों ने पाया कि शहर के सारे बाज़ार बंद है । यह देखकर कुछ लोग सोचने पर मजबूर हो गए कि क्या एक शिक्षक और साहित्यकार के प्रति शहर वालों के दिलों में इतना प्रेम और इतनी श्रद्धा हो सकती है । मोतीलाल जी के प्रति लोगों की सदभावना प्रणम्य थी। इतनी भीड़ तो बड़े बड़े नेताओं व धन्ना सेठों की भी अंतिम यात्रा में कभी देखने को नहीं मिली । क्या मोतीलाल जी लोगों की दिलों की गहराई में उतर चुके थे ? या उनके कर्मों से व लेखों से लोग प्रभावित थे । 

अंत्येष्टी के बाद जब कृष्णा  अपने रिश्तेदारों के साथ घर पहुंचा तो उनकी माता सुहागा देवी को खबर मिल चुकी थी कि उनके पति की अंतिम यात्रा में लाखों लोग शामिल हुए थे । ऐसी अंतिम यात्रा आजतक शायद इस शहर ने कभी देखा न था। यह सब जानकर सुहागा देवी का सीना गर्व से भर गया । मन ही मन सुहागा देवी ने अपने पति को याद किया । उसके बाद अपने पुत्र कृष्णा को प्रिन्टिंग प्रेस की चाबी देते हुए कहा कि अब मैं नहीं समझती कि तुम्हें सरकारी नौकरी करने की ज़रूरत है । तुम बस अपने पिता के कार्य के उन ज़िम्मेदारियों को निभाते रहो जो तुम्हें भी शायद आनंद देता है । मेरा मानना  है कि मां सरस्वती जिनके साथ रहती है उन्हें लक्ष्मी माता के पीछे भागने की ज़रूरत नहीं । 
इस बीच प्रशासन की तरफ़ से एक फ़ैसला आया कि स्वर्गीय मोतीलाल जी की एक मूर्ति स्टेशन चौक पर स्थापित की जाएगी । साथ ही हर वर्ष उनके नाम से मेरिट में आने वाले दस बच्चों को वज़ीफ़ा दिया जाएगा । इन बातों को जानकर दुख की घड़ी में भी सुहागा जी के मुख पर मुस्कान उभर आई । 

शाम के 6बजते बजते कृष्णा के ताऊ पुखराज जी रायपुर पहुंचे और वे सीधे अपने छोटे भाई मोतीलाल के घर गए। वहां उन्होंने अपने भतीजे और बहू सुहागा जी से देर से आने हेतु माफ़ी मांगते हुए पूछा कि कार्यक्रम में कोई अड़चन तो नहीं आई । समाज के कुछ लोग अंतिम यात्रा में शामिल हुए थे या नहीं ? किसी प्रकार की कोई और कमी तो महसूस तो नहीं हुई ? 2घंटे बैठने के बाद वे घर जाने के लिए उठे तो उन्हें कुछ याद आया तो अपने भतीजे को बताने लगे कि मेरा वर्धा वाला काम तो अटक गया । पावर प्लान्ट संबंधित जो मीटिंग महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री और उर्जा मंत्री से कल होने वाली थी वह कैन्सिल हो गई है । उन दोनों का वर्धा आने का कार्यक्रम न जाने क्यूं बदल गया ? अब पता नहीं कब उनसे भेंट हो पाएगी । मेरे सारे किये कराए पर अभी तो पानी फिर गया है । ऐसा कहते हुए जैसे ही पुखराज जाने के हुए वैसे ही घर के सामने 10 गाड़ियों का काफ़िला धड़धड़ाते हुए आकर रुका । जिसमें से पहले सेक्यूरिटी वाले 4 व्यक्ति उतरे , उसके बाद दूसरी गाड़ी से महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री चौरे जी और उर्जा मंत्री पाटिल जी उतरे । उनके साथ कुछ अधिकारी गण भी थे। महाराष्ट्र के दोनों मंत्री सुहागा देवी के घर लगभग एक घंटे रहे । सुहागा देवी और कृष्णा को दिलासा देते रहे । उन्होंने यह भी कहा कि आप लोगों को किसी भी चीज़ की ज़रुरत महसूस हो तो बेखटके हमें बताना । उन दोनों ने अपना व्यक्तिगत नंबर भी क्रिष्णा को उपलब्ध करा दिया । कृष्णा से उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की सरकारी सहायता की दरकार हो तो हमें ज़रूर बताना, झिझकना नहीं । तुम्हारे पिताजी ने हमें 10 वीं क्लास में पढाया है । हम दोनों उन्हें अपना आदर्श मानते हैं । उनके जैसा शिक्षक इस दुनिया में बहुत कम आते हैं । हमें सुबह 10बजे उनके निधन का समाचार मिला तो हम दोनों ने अपने सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए और यहां के लिए रवाना हो गए। मुंबई से नागपुर तक हम शासकीय विमान से आए । फिर नागपुर से रायपुर तक हम कार द्वारा आए हैं । तुम्हें  यह जानकर बेहद खुशी मिलेगी कि 1 महीने पूर्व ही महाराष्ट्र सरकार ने उनके द्वारा लिखित कई कहानियों को विभिन्न कक्षाओं के पाठ्यक्रम में शामिल करने का फ़ैसला लिया है । जिस हेतु हम मोतीलाल जी से सहमति ले नहीं पाए थे अत: तुम्हारी माता जी से सहमति लेनी है । इस तरह मोतीलाल जी के घर में 2 घंटे गुज़ारकर दोनों मंत्री नागपुर की ओर रवाना हो गए। जाते जाते दोनों मंत्रियों ने एक बार फ़िर कृष्णा को आश्वस्त किया कि हमारे रहते तुम्हें किसी चीज़ की फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी । अभी 13दिनों तक रोज़ हमारा एक अधिकारी आपके घर में सारी व्यवस्था देखने उपस्थित रहेगा । और आप लोगों की यथोचित सहायता करेगा । इन दो घंटों के दौरान मंत्रियों के सामने कृष्णा के साथ साथ पुखराज जी भी बैठे थे । हालाकि उन्हें महाराष्ट्र के उर्जा मंत्री अच्छे से पहचानते थे पर गम के इस माहौल में पुखराज जी ने अपने वर्धा प्रोजेक्ट के बारे में कोई बात नहीं छेड़ सके लेकिन उन्होंने  परिस्थिति को देख यह निर्णय ले लिया था कि अपने पावर प्लान्ट का नाम “ लाल मोती पावर प्रोजेक्ट " ही रखूंगा ॥

' समाप्त '
5
रचनाएँ
क़िस्मत अपनी अपनी ( कहानी-प्रथम क़िश्त)
0.0
रायपुर के सेठ रतन लाल जी के तीन बेटे थे। जिसमे से बड़े बेटे नीलम उनके ही सोने चांदी के व्यापार में अपना हाथ बंटाने लग गये। मंझले बेते पुखराज बिल्डर बनने की राह में अग्रसर हो गया। वहीं उनका तीसरा सुपुत्र अध्यापन व लेखन के क्षेत्र में आगे बढने की इच्छा रखने लगा था। आगे जाकर तीनों का सामाजिक जीवन कितना गौरव शाली रहा इसके बारे में अनुमान लगाना ज़रा मुश्क़िल है।
1

क़िस्मत अपनी अपनी (कहानी प्रथम क़िश्त )

17 फरवरी 2022
1
0
0

”क़िस्मत अपनी अपनी “[ कहानी _ पहली क़िश्त ]सेठ रतन चन्द रायपुर का एक बड़ा नाम है । वे पिछले 20 बरसों से अपनी मेहनत और व्यापारिक बुद्धि से अकूत संपत्ति के मालिक बन गए हैं । उनके वैसे तो बहुत सारे व्यापारि

2

क़िस्मत अपनी अपनी ( कहानी दूसरी क़िश्त)

18 फरवरी 2022
0
0
0

क़िस्मत अपनी अपनी { कहानी + दूसरी क़िस्त ][ अब तक -- मेरा कहा मानो और ये नौकरी छोड़ो व अपने बड़े भाई के व्यापार में सहयोगी बनो।सोने चांदी की दुकान पर आपका भी तो कुछ अधिकार बनता है] जवाब म

3

क़िस्मत अपनी अपनी ( कहानी तीसरी क़िश्त)

19 फरवरी 2022
0
0
0

[ क़िस्मत अपनी अपनी } [ कहानी तीसरी क़ीश्त ][ अब तक ;;;;;; मोतीलाल जी की पत्नी उन्हें रोज़ ही कोसती थी कि मेरी जगह कोई और आपकी पत्नी होती तो कब का आपको छोड़ कर चली गई होती }इन बातों से पर मोतीलाल को

4

क़िस्मत अपनी अपनी ( कहानी चौथी क़िश्त)

20 फरवरी 2022
0
0
0

क़िस्मत अपनी अपनी { कहानी __चौथी क़िस्त ] [अब तक --- कृष्णा की माता कहती है कि मुझे डर है कि उनकी अंतिम यात्रा में ज्यादा लोग सहयोग करने आएंगे या नहीं }एक काम करो कृष्णा तुम अपने

5

क़िस्मत अपनी अपनी ( कहानी अंतिम क़िश्त)

21 फरवरी 2022
0
0
0

क़िस्मत अपनी अपनी [अंतिम क़िश्त ]इस तारत्मय में सबसे पहले शासन ने मोतीलाल जी की अंत्येष्टि के स्थान को जैन समाज के मुक्तिधाम से बदलकर स्टेडियम के अंदर निर्धारित करवा दिया । इसकी

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए