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किसने बचाई शक्ति की जान

31 अक्टूबर 2023

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जैसे ही दीपक भूत बोलता है ।डिसूजा उसके मुंह पर हाथ रख देता है और कहता है ...

"पागल हो गया है क्या?? लगता है तुझे अपनी नौकरी प्यारी नहीं है?? लेकिन मुझे बहुत प्यारी है। इसलिए आज के बाद यह लफ्ज़ तेरे जुबान पर नहीं आना चाहिए ,और भूल कर भी किसी को बताने की गलती मत करना ।कि यह सब कुछ मैंने तेरे साथ डिस्कस किया है ।वरना हम दोनों ही अपनी नौकरी से हाथ धो बैठेंगे ।समझा!!"

दीपक भी हां में गर्दन हिला देता है और अपने काम में लग जाता है ।थोड़ी देर बाद डिसूजा भी अंदर चला जाता है।

डिसूजा ने दीपक को तो मना कर दिया था ‌लेकिन उसके खुद के दिमाग से यह सब कुछ नहीं निकल रहा था ।लेकिन वह भी क्या कर सकता था?? चुपचाप अपने काम में लग जाता है ।इधर शक्ति के मम्मी पापा उसे मनाली लेकर चले गए थे। उन्हें लग रहा था कि जैसे ही थोड़ा माहौल चेंज होगा ।उसकी तबीयत में सुधार आ जाएगा और शायद वह थोड़ा बहुत सफल भी हो गए थे ।शक्ति अभी भी खोई खोई सी रहती

थी। लेकिन मनाली की वादियां से थोड़ा सुकून पहुंचा रही थी ।एक दिन वह सब घूमने के लिए निकलते हैं ।शक्ति को देखकर हमेशा ऐसा लगता था जैसे कि वह कुछ सोच रही है। 1 दिन उसके मम्मी पापा उसे मंदिर लेकर जाते हैं कि मंदिर जाकर उसे थोड़ी शांति मिले। मंदिर के बाहर एक साधु बाबा बैठे थे ।वह शक्ति को बहुत ध्यान से देख रहे थे ।तभी वह मानव जी से से कहते हैं...

"बेटा यह तुम्हारी बेटी है??"

"जी बाबा!!"

तभी विद्या जी उनके पास आकर कहती हैं..

" बाबा !!कृपा करके मेरी बेटी को देखकर बताइए ना इसके साथ ऐसा क्यों होता है??? यह बेहोश क्यों होती रहती है ??मेरी एक ही बेटी है बाबा !इसके सिवा और कोई नहीं है। हमारा अगर इसे कुछ हो गया तो हम भी नहीं बचेंगे।"

बाबा बहुत ध्यान से शक्ति को देख रहे थे। फिर वह कहते

हैं .....

"बेटा तुम्हारी बेटी के साथ कुछ असामान्य है। पर पूरी बात में अभी नहीं बता सकता। मैं पूरी सिद्धियां प्राप्त कर

लूं ।फिर तुम्हारे हर सवाल का जवाब दूंगा। अभी तुम मुझसे एक साल बाद यहीं पर मिलना।"

तभी विद्या जी रोते हुए कहती हैं ....

"बाबा मेरी बेटी ठीक तो हो जाएगी ना ??पता नहीं क्यों मेरी फूल सी बच्ची दिन-ब-दिन मुरझाती  जा रही है। हंसना तो जैसे भूल ही गई है। इसकी हालत नहीं देखी जाती मुझसे।"

तभी वह बाबा मुस्कुरा कर कहते हैं....

" भगवान पर भरोसा रख बेटा !सब का भला करता है, तेरा भी करेगा !!चिंता मत कर! जो भी हो रहा है। उसे होने दे। जो भी हम सब के साथ घटित होता है ‌उसके पीछे कोई ना कोई कारण होता है। हम साधारण से इंसान हैं। हम उस ऊपर वाले  लीलाधर की लीला नहीं समझ पाते और कईं बार तो उसे ही दोष देने बैठ जाते हैं।बेटा इंसान हमेशा भगवान से शिकायत करता है कि उसके साथ ही बुरा क्यों हुआ??? लेकिन कभी यह नहीं सोचता कि यह उसके कर्मों का फल है। जो वह भोग रहा है। हो सकता है उसने कभी किसी और के साथ उससे भी ज्यादा बुरा किया हो।"

"या ऐसा भी हो सकता है कि उस पर उसके जीवन में बहुत ही अधिक बुरा होने वाला हो !लेकिन ईश्वर की कृपा से वह कम पर टल जाता है ।इसलिए उस ऊपर वाले पर हमेशा अपना भरोसा बना कर रखना और मुझसे एक साल बाद आकर मिलना। वह मालिक सबका भला करेगा ,चिंता मत करो!!"

बोलकर वह बाबा वहां से चले जाते हैं।

शक्ति के मम्मी पापा का ध्यान बाबा से बात करने में था। उन्हें ध्यान ही नहीं था कि शक्ति वहां पर है ही नहीं। वह तो कब की चली गई थी। दरअसल वहां थोड़ी ही दूरी पर बहुत सुंदर पहाड़ नजर आ रहे थे। शक्ति खुद को रोक नहीं पाती और वहां जाकर खड़ी हो जाती है। शक्ति सामने देखे जा रही थी। उसे ध्यान ही नहीं था कि नीचे खाई है। उसे वहां की शांति बहुत अच्छी लग रही थी। जिससे वह अपने दिलो-दिमाग में महसूस कर रही थी ।इस वक्त शक्ति की आंखें बंद थी।

आंखें बंद करके यह शक्ति अपना एक पैर आगे बढ़ाती है। तभी उसके कानों में एक आवाज पड़ती है....

"हे !हे!! वेट! देखो सुसाइड करना जुर्म है। तुम अपनी जान नहीं ले सकती ।

I said stop!!!!"

"देखो तुम नहीं रुकी तो मुझे तुम्हें गिरफ्तार करना होगा। एएसपी शौर्य शेखावत के सामने कोई कानून तोड़े, यह मुझे बिल्कुल भी मंजूर नहीं है ।"

शक्ति को बस थोड़ी थोड़ी आवाज आ रही थी। क्योंकि इस वक्त काफी दूर से आ यही थी। वह सुनने की कोशिश भी करती है। लेकिन सुन नहीं पाती। उसकी आंखें अभी भी बंद थीं और वह किसी और ही दुनिया में थी ।उसे अपने आसपास क्या हो रहा है ??इसका कोई होश नहीं था। अब वह अपने ख्यालों में खोई हुई ही खाई के काफी पास चली गई थी और जैसे ही एक और पैर आगे बढ़ाती है।कोई झटके से उसका हाथ पकड़ कर खींच लेता है। जिससे वह अचानक उसके सीने से आकर लग जाती है।

उन दोनों की ही सांसे इस वक्त काफी तेज चल रही थीं। जैसे ही वह अपनी बंद आंखें खोलती है। सामने एक बहुत ही हैंडसम और डैशिंग चेहरा है वहां नजर आता है।

ब्राउन आइज और उसके सिल्की हेयर जो माथे पर बिखरे हुए थे। गोरा रंग और मस्कुलर बॉडी सिक्स फीट  हाइट आंखों में गुस्सा और थोड़ी सी के फिक्र लिए शक्ति को देख रहा था।

शक्ति अभी भी खोई हुई थी। उसे देख रही थी। जैसे कि वह किसी सपने से जागी हो!! उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि उसकी आंखें तो खुली है ।लेकिन अभी भी वह इस दुनिया में नहीं है। वह कहीं और है और कुछ सोच रही है ।उसे अपने सामने जो लड़का नजर आ रहा था। जैसे कि वह उसके लिए होकर भी वहां पर नहीं था ।क्योंकि शक्ति को तो उससे कुछ मतलब ही नहीं था।

जब वह लड़का महसूस करता है कि उसने अभी-अभी एक लड़की की जान बचाई है और वह लड़की उस पर कोई ध्यान नहीं दे रही। उसे बहुत ज्यादा गुस्सा आता है और वह एकदम गुस्से में उसके ऊपर फट पड़ता है..
वह लड़का शक्ति के ऊपर चिल्ला कर बोलता है....

" पागल हो तुम?? या बहरी हो?? कब से आवाज लगा रहा हूं? सुनाई नहीं देता क्या?? चिल्ला चिल्ला कर मेरा गला भी दुख गया!! कब से चिल्ला रहा हूं? सुसाइड मत करो!! सुसाइड मत करो !!यह गलत है। जुर्म है  तुम्हें सजा भी हो सकती है।लेकिन तुम??? तुम तो सुन ही नहीं रही? जैसे कि यहां पर हो कर भी यहां नहीं हो ।किस धुन में खोई हुई थी?? देखो!!! माना कि यह जिंदगी आसान नहीं है ।बहुत परेशानियों से भरी है।अपने परिवार के बारे में तो सोचो?? अगर तुम्हें कुछ हो जाता ?तो उनका क्या होता ??लेकिन नहीं !!तुम्हें क्या फर्क पड़ता है? तुम जैसे लोग कायर होते हैं। जिंदगी में  मुश्किल आई  नहीं कि,उसे खत्म करने का सोच लेते हैं।"


"जिंदगी की कीमत उनसे जाकर पूछो !जो रात दिन सिर्फ जिंदा रहने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं और जद्दोजहद में लगे रहते हैं कि जैसी जिंदगी उन्हें जीनी पड़ रही है ।उनके बच्चों को ना जीनी पड़े ।उनसे पूछो जिंदगी की कीमत क्या होती है ???जिंदगी की कीमत उस मां से  पूछो !!जो अपने बच्चे को जन्म देते वक्त यह कभी नहीं सोचती, कि उसका क्या होगा ??उसकी जान बचेगी या नहीं?? उसे फिक्र होती है तो अपनी नन्ही सी जान के जीवन की ।जो अभी इस दुनिया में आया भी नहीं है। जिसने अपनी आंखें भी नहीं खोली ।जिसके साथ किसी ने बैठ कर दो पल तक नहीं बिताए। उसकी जिंदगी की दुआएं मांगती है ,उसकी मां!! चाहे उसकी खुद की जिंदगी खतरे में हो।"


शौर्य की बातें शक्ति कब से सुने जा रही थी ।कुछ देर तक तो वह अपने होश में ही नहीं थी।अभी तक कहीं खोई हुई थी। फिर उसको एहसास होता है कि शौर्य थोड़ा तेज आवाज में बोल रहा है ।तो उसे भी गुस्सा आ जाता है।

फिर वो चीखते हुए कहती है ....


"चुप!! एकदम चुप!!! कब से तुम्हारी बकवास सुने जा रही हूं ???अगर कोई इंसान पहाड़ के पास खड़ा है ?तो इसका एक ही मतलब होता है, कि वह खाई में कूदने वाला है!!

अक्ल वक्ल है या नहीं ??तुम्हें देखकर तो पढ़े लिखे लगते हो! लेकिन हरकतें बिल्कुल गंवारों वाली हैं ।तुम्हें दिख नहीं रहा था कि मैं वहां पर खड़ी थी। कूद नहीं रही थी और खड़े होना कोई गुनाह नहीं है??समझे !!"


तभी शौर्य उसका हाथ पकड़ता है और उसे खींचकर फिर से वही ले जाता है ।जहां पर शक्ति खड़ी हुई थी । फिर उसे देख कर कहता है ....

"खड़ी थी ना तुम??? जरा नीचे भी नजर डालो !!अगर तुम यहां पर खड़े होकर एक कदम और आगे बढ़ाती तो बिना कूदे भी तुम नीचे गिर जाती। समझी!! और इसलिए ही मैं तुम्हें नीचे जाने से रोक रहा था।"



जैसे ही शक्ति नीचे देखती है। उसे एहसास होता है कि सच   में  शौर्य ने उसकी जान बचाई थी। लेकिन वह उसे थैंक यू बोलने के मूड में बिल्कुल भी नहीं थी।


वह वहां से पैर पटक ते हुए चली जाती है। शक्ति ने एक बार भी उसके सामने अपनी पहचान नहीं बताई थी ।वैसे ही उसे शो ऑफ करने का बिल्कुल भी शौक नहीं था ।वह एक सिंपल लड़की थी। जिसे सीधी सादी जिंदगी पसंद थी। लेकिन उस सिंपल सी लड़की की जिंदगी बिल्कुल भी सिंपल नहीं थी ।उसमें बहुत सारी कॉम्प्लिकेशंस थीं। जिन्हें सुलझाने की वजह से शक्ति कई बार परेशान भी हो जाती थी और शायद इस वक्त भी ऐसा ही होगा था उसके साथ।

वहां से पर पटक ते हुए चली जाती है। एक बात अच्छी हुई थी भले ही इन दोनों की नोकझोंक के ही बहाने लेकिन शक्ति बहुत दिनों के बाद इतना बोली थी और किसी से बात की थी। वरना वह तब से गुमसुम ही थी। किसी से भी बात नहीं कर रही थी। जब वह चली जाती है ।तो शौर्य के फेस पर एक स्माइल आ जाती है और वह स्माइल करते हुए कहता है...


" सुसाइड गर्ल!!!"

शक्ति के मां-बाप उसके पास आते हैं और उसे देखकर कहते हैं.....

" बेटा !तुम्हारा धन्यवाद ,किन शब्दों में कहें !??हमारी बेटी तो बिल्कुल खामोश ही हो गई थी ।तुम्हारी वजह से आज उसने इतनी बात की है। भले ही वह तुमसे लड़ी हो ।लेकिन कम से कम बोली तो सही। तुम्हारा यह एहसान कभी नहीं भूलेंगे हम।"


शौर्य उनको सामने जाकर कहता है...

" अरे !नहीं !नहीं! आप ऐसे मत कहिए। आप लोग बड़े हैं। बड़ों के हाथ आशीर्वाद देते हुए ही अच्छे लगते हैं ।दूसरों के सामने जोड़ते हुए नहीं।"


फिर वह उन दोनों के पांव छू लेता है। शक्ति के मम्मी पापा भी बड़े प्यार से उसके सर पर हाथ रख देते हैं।


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रचनाएँ
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क्यों रूठा है तेरा भी दिन आएगा वह खुदा आखिर कब तक तुझे आजमाएगा झोंक दे अपनी जान लक्ष्य को पाने में फिर देखना वह आसमान भी एक दिन तेरे पैरों में झुक जाएगा। मेरे प्यारे दोस्तों!! हाजिर हूं मैं! फिर से आप सबके सामने। अपनी एक नई रचना लेकर। मेरी इस रचना में आपके दिल को अलग-अलग एहसासों के रंग छूकर जाएंगे। जिनमें सबसे पहला एहसास होगा प्यार, धोखा, मायूसी, हिम्मत ,रहस्य, और जिंदगी जीने का जज्बा। इस कहानी में आपको दिखेगा की जब जिंदगी के सारे रास्ते अंधेरे में डूबे नजर आएं और हमें ऐसा लगे कि हम जिंदगी की जंग हार गए हैं। तब एक उम्मीद की रोशनी हमें फिर से जिंदा कर देती है। अब यह सोचने वाली बात है ,हमारी जिंदगी में वह उम्मीद बनकर आता कौन है?? वह कोई इंसान भी हो सकता है? या कोई सोच भी हो सकती है!! यह फिर ऐसा कोई जिसके जैसा बनने का हमने हमेशा सपना देखा हो। और इस कहानी में एक एहसास और मिलेगा आप सबको वह होगा थोड़ा सा हॉरर और अनएक्सपेक्टेड ट्विस्ट!!! तो आप सब लोग तैयार हो  जाइए! मेरे साथ इस नए सफर पर चलने के लिए। जिसमें हर कदम पर आपको अनिश्चिता था देखने को मिलेगी‌। ऐसा महसूस होगा कि यह चीज अभी यहां थी‌। लेकिन अब नहीं है ,और सबके जहन में होगा एक ही सवाल... क्यों??? आखिर ऐसा क्यों??? तो आप सब को भी अपने इस क्यों के जवाब मिलेंगे मेरी इस कहानी में... मुझ में तू बसा
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