शक्ति इस वक्त अपने कमरे में बहुत ज्यादा उदास बैठी थी और एक तक दीवार को घूरे जा रही थी। उसकी आंखों में इस वक्त आंसू भी थे। तभी अचानक से वह सामने देखती है और खुश होकर सामने की तरफ दौड़ पड़ती है।
अब शक्ति काफी खुश नजर आ रही थी और उसके चेहरे पर कोई उदासी भी नहीं थी। थोड़ी देर में वह अपने रूम से बाहर निकल कर अपने मम्मी पापा का रूम नाॅक करती है। उसके मम्मी पापा डर जाते हैं कि कुछ प्रॉब्लम तो नहीं हुई ??वह भी अभी तक नहीं सोए थे ।क्योंकि उन्हें हमेशा शक्ति की चिंता लगी रहती थी। शक्ति जैसे ही अपने मम्मी पापा को सामने देखती है ।वह बोलती है ....
"मम्मा !पापा!! मुझे वापस जाना है और अपनी ड्यूटी ज्वाइन करनी है ।यह सुनकर उसके मम्मी पापा चौंक जाते हैं। मानव जी कहते हैं .....
"पर बेटा!! अभी तो हमें यहां आए हुए 2 दिन भी ठीक से नहीं हुए !मैंने तो तुम्हारी एक हफ्ते की लीव सैंक्शन करवाई है ।थोड़ा और रेस्ट कर लो। तुम्हारी तबीयत भी ठीक नहीं है।"
तभी शक्ति कहती है....
" नहीं पापा !!मैं बिल्कुल ठीक हूं। मैंने कहा ना! मुझे ड्यूटी जाना है।"
तभी विद्या जी कहती हैं ....
"बेटा !ड्यूटी तो होती रहेगी ।लेकिन पहले अपनी सेहत पर ध्यान दो। अगर तुम ही ठीक नहीं रही। तो ड्यूटी कैसे करोगी?? तुम्हारी ड्यूटी में तो वैसे भी फिजिकल वर्क ज्यादा करना पड़ता है ।तुम्हें खुद को ठीक करना होगा ,मेंटली और फिजिकली भी।"
शक्ति से उन्हें देखकर कहती है.....
" मम्मा !!मैं फिजिकली बिल्कुल फिट हूं। मुझे कुछ नहीं हुआ और मेंटली भी। मैंने कहा ना मुझे ड्यूटी जाना है। मतलब जाना है ।अब अगर आप लोग साथ चल रहे हैं तो ठीक है ।वरना मैं अकेले चली जाऊंगी।"
अब उसके मम्मी पापा के पास भी कोई रास्ता नहीं रह गया था। वह अगले दिन ही सुबह वापस जाने की तैयारी करते हैं।
वह तीनों मनाली से पुणे की तरफ निकल चुके थे।
घर आकर शक्ति अपने रूम में चली जाती है ।उसे अगले दिन से ड्यूटी ज्वाइन करनी थी ।किसी भी कीमत पर शक्ति अपनी ड्यूटी जाना चाहती थी। जैसे कि उसे कुछ बड़ा करना है।
अगले दिन सुबह शक्ति अपनी पुलिस की वर्दी में ड्यूटी जाने के लिए तैयार थी। उसके मम्मी और पापा अभी भी थोड़ी टेंशन में थे। लेकिन वह निकल गई थी।
जब शक्ति पुलिस स्टेशन पहुंचती है। तो वह हेड कांस्टेबल को आवाज देती है...
"शिंदे!!!"
"जी मैडम!!!"
"न्यू केस की फाइल लेकर आओ अभी!!"
शिंदे उसे एक फाइल लाकर देता है।
शक्ति जैसे-जैसे फाइल पढ़ रही थी। उसके चेहरे पर गुस्से के भाव आते जा रहे थे। वह बहुत जोर से अपनी फाइल बंद करती है और पूरे स्टाफ को 10 मिनट में अपने कैबिन में हाजिर होने का आर्डर देती है।
थोड़ी देर में उसके कैबिन में पूरा स्टाफ खड़ा हुआ था ।शक्ति उन्हें घूर कर देखती है और कहती है...
" इस केस पर आगे काम क्यों नहीं हुआ??? मैंने तो सबके काम डिवाइड किए थे? तो तुम सब अभी तक क्या कर रहे हो ??यह केस सॉल्व हो जाना चाहिए था।"
उन सभी की गर्दन झुक जाती है। लेकिन सबके चेहरे पर थोड़ा डर था।
शक्ति चिल्लाते हुए कहती है...
" क्या हुआ?? कोई कुछ बोलेगा ?आखिर इस केस पर तुम लोगों ने आगे काम क्यों नहीं किया??? मैंने कहा था ना कि मुझे 3 दिन में इस केस की क्लोजिंग चाहिए मतलब चाहिए।"
तभी एक इंस्पेक्टर जिसका नाम अंगद मात्रे था। वह आगे आकर बोलता है....
" मैम !हम लोग इस केस पर काम कर रहे थे। लेकिन हम सब को धमकी दी गई कि अगर हमने इस केस में और आगे छानबीन की। तो हम सब की नौकरी चली जाएगी ।मैम! हमें भी अपनी बीवी बच्चे पालने हैं ।बिना नौकरी के हम अपनी रोजी रोटी कैसे चलाएंगे???
मैम! मेरे पास एक सुझाव है। मुझे लगता है कि यह केस कानून के हिसाब से सॉल्व करना बहुत मुश्किल है। क्यों ना हम इसे कानून के दायरे से थोड़ा बाहर जाकर सॉल्व करने की कोशिश करें।"
इतना सुनते ही शक्ति को गुस्सा आ जाता है ।वह गुस्से में कहती है ....
"क्या कहना चाहते हैं आप??? हम लोग भी गली के गुंडों की तरह बिहेव करें? अगर हम ऐसा करेंगे!! तो हम पुलिस वालों में और गुंडों में फर्क क्या रह जाएगा ??पुलिस वालों की रिस्पेक्ट कौन करेगा ?हम पुलिस वाले हैं और हमें अपनी डिपार्टमेंट की रेस्पेक्ट कम नहीं होने देनी है, आम नागरिकों की नजर में । एमआई क्लियर??डू यू अंडरस्टैंड???"
उसकी बात सुनकर अंगद मात्रे डर जाता है और कहता है.... "ठीक है मैम!!"
"हम लोग तैयार हैं!!!"
तो शक्ति कहती है ....
"टीम तैयार करो!! हम अभी छापा मारने जाएंगे और सब को रंगे हाथों पकड़ कर लाएंगे।"
वह सभी लोग वहां से गाड़ी में बैठ कर निकल जाते हैं। जहां पर वह लोग गए थे ।वह एक पटाखा बनाने की फैक्ट्री थी। इन्हें इंफॉर्मेशन मिली थी, कि वहां पर छोटे बच्चों से यह काम करवाया जाता है। जो उनके लिए काफी खतरनाक था ।उन्हें रेस्क्यू करने के लिए ही शक्ति ने अपनी टीम को सबूत इकट्ठे करने के लिए कहा था ।लेकिन जिसकी वह फैक्ट्री थी ।वह एक बहुत बड़ा गुंडा था। जिसका नाम बहुत बदनाम था ।कोई भी उससे उलझने की कोशिश नहीं करता था।
शक्ति और उसकी टीम ने उस फैक्ट्री पर धावा बोल दिया था और उन सब के आगे वह गुंडे नहीं टिक पा रहे थे ।तभी शक्ति अपनी टीम को उन बच्चों को रेस्क्यू करने के लिए कहती है। सभी बच्चों को एक गाड़ी में बैठा दिया गया था ।
इधर शक्ति जोर चिल्लाते हुए कहती है ....