कुछ वक्त पहले
एक लड़की एक कमरे में लगे हुए पंचिंग बैग पर लगातार पंच बरसा रही थी। उसे लगभग आधा घंटा हो गया था। प्रैक्टिस करते हुए ।लेकिन रुकने का नाम नहीं ले रही थी और अगर उसके लुक्स की बात करें तो उसे एक बार देखने वाला दोबारा मुड़कर ना देखें ऐसा तो हो ही नहीं सकता था।
आखिर वो थी ही इतनी खूबसूरत बिल्कुल किसी ख्वाब की तरह ।

सुंदर गोल चेहरा ग्रीनीश आईज और लंबे काले बाल जो बार-बार उड़कर उसके चेहरे पर आ रहे।थे ।जिन्हें वह बड़े एटीट्यूड से पीछे कर लेती।
लेकिन एक बात थी। वह लड़की दिखने में जितनी खूबसूरत थी उतना ही रहस्यमई था उसका व्यक्तित्व।
उसके चेहरे पर एक ठहराव था।
और उसकी सबसे बड़ी खूबी यह थी ,कि उसके दिल में और मन में कितनी ही बड़ी उथल-पुथल मची हो?? वह कभी उसे अपने चेहरे पर नहीं आने देती थी। उसे देखकर कभी कोई यह नहीं बता सकता था कि वह इस वक्त क्या सोच रही है?? और उसका दिल कितना बेचैन है??
जब भी वह बेचैन होती तो उसकी बेचैनी और फ्रस्ट्रेशन निकलती थी। इस पंचिंग बैग पर ।जो आज भी हो रहा था।
उस लड़की की हाइट उसकी पर्सनैलिटी का सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट थी ।उसकी हाइट उसकी पर्सनैलिटी को और ज्यादा निखारती थी। उसे हमेशा सिंपल रहना ही अच्छा लगता था।। उसका मानना था कि इंसान की असली पहचान उसकी सिंपलीसिटी और खामोशी में होती है।
क्योंकि हम जितना ज्यादा बोलते हैं , अपने वीक पॉइंट्स सामने वाले को उतने ही ज्यादा बता देते हैं और जितना खामोश रहते हैं। हमारी कमजोरियों तक सामने वाले का पहुंच पाना उतना ही मुश्किल होता है।
उसके सोचने का ढंग बाकी लोगों से थोड़ा अलग था और इसी वजह से वह कई बार ऐसे लोगों के निशाने पर आ जाती, जिन्हें उसका तरीका अच्छा नहीं लगता था।
वह लड़की पंचिंग बैग पर जैसे-जैसे पंच बरसा रही थी। वैसे ही वह बोलती भी जा रही थी ।ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी से बात कर रही है।
"मुझे पता है मैंने क्या किया है??? मैं कोई छोटी बच्ची नहीं हूं ???
"एक जिम्मेदार आईपीएस अफसर हूं !!"सही गलत की पहचान है, मुझे !!हमेशा ऐसे छोटे बच्चे की तरह डांटने की जरूरत नहीं है।"
"और एक आप है जो हर वक्त मुझे डांटती रहती हैं !!आप हर वक्त डांटती क्यों रहती हैं मुझे??"
"नहीं !नहीं! नहीं!!! मैंने कितनी बार कहा है आपसे ???और एक बार और कह रही हूं !!मैं उस रास्ते पर नहीं चल सकती, जो मेरे दिल को सही नहीं लगता। मैंने आज तक सिर्फ वही काम किया है ।जिसके लिए मेरे दिल ने करने को बोला है। जिस की गवाही मेरा दिल नहीं देता ।वह काम में कैसे कर सकती हूं???"
"हां मुझे पता है कि मेरी मंजिल बहुत दूर है और किसी भी कीमत पर मुझे उसे पाकर रहना है ।आप मुझ पर भरोसा रखिए।"
" मैं अपने रास्ते पर चलते हुए और अपने तरीके से काम करते हुए भी अपनी मंजिल पा सकती हूं।"
*आप बार-बार मुझे ऐसे क्यों कहती हैं ???आईपीएस अफसर बनने के लिए मैंने बहुत मेहनत की है!! रात दिन एक किया मैंने इस पोस्ट को हासिल करने के लिए। मैं कानून की रक्षक हूं। उसकी भक्षक कैसे बन जाऊं ???"
अगर मैं भी कानून तोड़ने लगी!! तो क्या फर्क रह जाएगा मुझ में ??और उन मुजरिमों में?? जिन्हें जेल की सलाखों के पीछे डालने की कसम खाई है मैंने!!"
"आप समझती क्यों नहीं ??मैंने वादा किया है आपसे कि उन गुनहगारों को सजा जरूर दिलवाऊंगी ।लेकिन मैं सब काम कानून के दायरे में रहकर करूंगी।मैं कानून को नहीं तोड़ सकती। ना ही उस दायरे के बाहर जा सकती हूं।"
देखिए!! देखिए आप फिर से नाराज हो रहे हो। प्लीज!! ऐसे मत करो !!आपको पता है ना आपसे बात किए बिना नहीं रह सकती मैं !तो ऐसे क्यों करते हो मेरे साथ ??क्या कहा???
नहीं !नहीं! नहीं मैं कमजोर नहीं हूं !!नहीं हूं मैं कमजोर !!ना पहले थी और ना ही अब हूं ,और ना ही कभी कमजोर पड़ूंगी। बस हर काम को करने का मेरा अपना एक तरीका है। जिसे मैं उस तरीके से ही करना चाहती हूं। मुझे सभी गुनहगारों को सजा देनी है ।लेकिन कानून के हिसाब से। उसके दायरे में रहकर काम करना है मुझे। मैं ऐसी ही हूं और ऐसे ही रहूंगी।"
तभी वह लड़की अचानक से चिल्लाती है ....
"नहीं !!आप ऐसा नहीं कर सकते मेरे साथ??? मैंने कहा ना कि मैं अपना वादा नहीं तोडूंगी ।उसे पूरा करके रहूंगी ।फिर क्यों कर रहे हो ऐसा ???मत जाओ!!!! रुक जाओ प्लीज!!!? प्लीज रुक जाओ !!!"
वह लड़की जोर से चिल्लाती है.....
' नहीं!!!!!!!!! वापस आओ !!!!!वापस आ जाओ प्लीज!!!!!!"
और जैसे ही वह चिल्लाती है ।वह बेहोश होकर नीचे गिर जाती है।
जैसे ही वह लड़की नीचे गिरती है ।उसकी मां भागते हुए वहां पर आती हैं क्योंकि जब वह चिल्लाई थी ।तो उसकी मां काफी डर गई थी। वह आती है और उस लड़की को हिला हिला कर उठाने की कोशिश करती हैं और कहती हैं ...
"शक्ति !!शक्ति बेटा उठो !!क्या हुआ तुम्हें?? क्या हुआ इसे???"
उसकी मां विद्या पास में खड़े उसके बॉडीगार्ड से पूछती हैं। जो शक्ति के पीछे खड़ा हुआ था और इस वक्त थोड़ा डरा हुआ था लग रहा था।
वह डरते डरते कहता है....
"मैम!! मैम वह फिर से !वही!!"
विद्या जी यह सुनकर परेशान हो जाती हैं और कहती हैं ....
"नहीं!!!! यह सब कुछ फिर से शुरू नहीं होना चाहिए।
मेरी बेटी को मैं कुछ नहीं होने दूंगी।"
दरअसल जब भी शक्ति किसी मुजरिम को पकड़ती थी ।या किसी मिशन से लौटती थी ।तो अधिकतर ऐसा होता था, उसके साथ।
देखने वाले को ऐसे लगता था कि वह किसी से बातें कर रही है और शुरू में वह बातें बहुत आराम से होती थी ।लेकिन धीरे-धीरे वह बातें एक बहस में बदल जाती थी और जब उस बहस का कोई नतीजा नहीं निकलता। तो आखिर में शक्ति चिल्ला कर बेहोश हो जाती थी ।लेकिन वह बेहोश होते-होते हमेशा यही बात बोलती थी...
" नहीं! रुक जाओ!! मत जाओ !मत जाओ प्लीज!!!
"मैं नहीं जाने दूंगी तुम्हें !!प्लीज रुक जाओ!!"