अभी तक हमने पढ़ा की एक लड़की लगातार पंचिंग बैग अपने पंच बरसा रही थी और वह किसी से बात भी कर रही थी उसकी बातों से ऐसा लग रहा था कि सामने वाला उसे छोड़कर जा रहा है और वह उससे बार-बार ना जाने की विनती कर रही है ।तभी वह बातें करते करते चिल्ला पड़ती है कि नहीं मुझे छोड़कर मत जाओ और तभी बेहोश होकर गिर जाती है ।उसकी आवाज सुनकर उसकी मां विद्या उसे देखने आती हैं और उसे देखकर वह परेशान हो जाती हैं। विद्या जी उसके बॉडीगार्ड से पूछती हैं कि क्या हुआ?? तो बॉडीगार्ड कुछ डरा हुआ सा लगता है। वो डरते रहते बस कुछ टूटे-फूटे शब्द ही बोल पाता है।
विद्या जी उसकी बात सुनकर घबरा जाती हैं और कहते हैं ...नहीं !यह सब कुछ फिर से नहीं हो सकता??"
फिर वह उस लड़की के पापा को आवाज लगाती हैं....
"मानव !!मानव कहां हो आप??"
"प्लीज!! जल्दी आइए ! देखिए शक्ति को क्या हो गया है??? वह बेहोश हो गई है ।मानव जल्दी आइए!!!"
उस लड़की के पिता मानव जी यह सुनकर दौड़ते हुए आते हैं
मानव जी पुणे शहर के बहुत ही बड़े बिजनेसमैन थे। उन्हें लगभग सभी जानते थे। उन्होंने बहुत ही ज्यादा मेहनत करके अपना बिजनेस उस मुकाम पर पहुंचाया था।
वह घबराकर शक्ति को अपनी बाहों में उठा लेते हैं और उसे बिस्तर पर लेटा देते हैं। वह उसे हिलाते हुए कहते हैं ...
"शक्ति! शक्ति बेटा! उठो क्या हुआ तुम्हें??"
तभी वह विद्या जी की तरफ देख कर कहते हैं ..
"विद्या !क्या हुआ है इसे??"
विद्या जी आंसू भरी आंखों से मानव जी को देखती हैं और ना में गर्दन हिला देती हैं।
यह देखकर मानव जी को थोड़ा झटका सा लगता है और अगले ही पल वह खड़े हो जाते हैं और डॉक्टर को फोन मिलाते हैं...
"हेलो! हेलो डॉक्टर मेहरा !वह शक्ति को फिर से वैसे ही .....
वह अपनी बात भी पूरी नहीं बोल पा रहे थे। इस वक्त मानव जी इतना घबरा गए थे।
उनकी आंखों में भी आंसू आ चुके थे। जिन्हें विद्या जी देख लेती हैं और उनके कंधे पर हाथ रखकर कहती हैं ...
"मानव ! संभालिए अपने आपको! अगर आप भी बिखर गए?? तो हम दोनों अपनी बेटी को कैसे संभाल पाएंगे??"
अब मानव जी फूट-फूट कर रोने लगते हैं और कहते हैं....
" कैसे विद्या??? कैसे आंखें कैसे संभालूं खुद को??? मुझे तो समझ नहीं आता कि उस भगवान ने सारे दुख हमारी किस्मत में क्यों लिखे हैं?? देखो इसे !कितनी मासूम लगती है??
लेकिन हमारी फूल सी बच्ची ने अपने लिए कितनी कांटों भरी राह चुनी है ??कितना मना किया था मैंने इसको? लेकिन नहीं मानी ?आखिर क्या कमी है हमारे पास ??चाहती तो पूरी जिंदगी आराम से काट सकती थी ?लेकिन नहीं !!पता नहीं कैसी जिद चढ़ी थी इसको ?आईपीएस ऑफिसर बनने की???कर ली इसने अपनी जिद पूरी और देखो! क्या हालत कर ली है अपनी?? समझ में नहीं आता कि क्या हो जाता है इसे बार-बार??"
विद्या जी भी रोते हुए कहती हैं ....
"मानव! भगवान इतना भी कठोर नहीं हो सकता ??देखना एक ना एक दिन हमारी बच्ची की जिंदगी में भी खुशियां आएंगी! और यह भी बिल्कुल ठीक हो जाएगी। फिर वैसे ही हमारा आंगन महकाएगी, जैसे बचपन में पूरे घर में उधम मचा कर रखती थी।"
वह दोनों बातें ही कर रहे थे ।तभी डॉक्टर साहब आ जाते हैं। वह शक्ति को अच्छे से चेक करते हैं ।वह कहते हैं ..
" इनका बीपी शूटप्प हो गया है।
क्या इनके सामने कोई ऐसी बात कही गई है जिससे इन्हें टेंशन हो??"
मानव जी चिंता में बोलते हैं....
" डॉक्टर साहब !यह तो चौबीसों घंटे ऐसे लोगों से घिरी रहती है ,जो उसे टेंशन दें ।आईपीएस ऑफिसर है मेरी बेटी।
हर दिन इसके पास कोई ना कोई ऐसा केस आता है ,जो उसे टेंशन देकर जाता है और जिस दिन भी यह किसी मुजरिम को पकड़कर लाती है ,इसका यही हाल होता है ।हमें समझ में नहीं आता कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है??"
उनकी बात सुनकर डॉक्टर साहब चिंता में पड़ जाते हैं और कुछ सोचते हुए कहते हैं ...
"देखिए! मानव जी! मुझे लगता है आपकी बेटी हद से ज्यादा स्ट्रेस ले रही है और आप बता रहे हैं वह आईपीएस ऑफिसर है। तो उसकी जॉब भी बहुत स्ट्रेसफुल होगी ।मेरी सलाह है आपको कि कुछ दिनों के लिए इसको लेकर किसी हिल स्टेशन पर चले जाइए।जिससे कि इसके माइंड को रिलैक्स मिले और उससे इसकी तबीयत में काफी सुधार आएगा।मुझे पता है इस तरह की जॉब्स में ज्यादा छुट्टियां नहीं मिलती हैं। लेकिन उसके माता पिता होने के नाते आप पर्सनल बेस पर रिक्वेस्ट कर सकते हैं ।उसके मेडिकल की जरूरत पड़ेगी तो वह मैं तैयार कर दूंगा।"
उसके बाद डॉक्टर साहब ने एक दवाई का परचा देते हैं और वहां से चले जाते हैं।
तभी विद्या मानव जी को कहती है...
" मानव !डॉक्टर साहब बिल्कुल ठीक कह रहे हैं। हमें शक्ति को लेकर किसी हिल स्टेशन पर जाना चाहिए ।उसका माहौल बदलेगा ,तो दिमाग भी रिलैक्स हो जाएगा।"
मानव जी ....
"तुम बिल्कुल ठीक कहती हो विद्या! मैं आज ही डीआईजी साहब से बात करता हूं और शक्ति की सारी कंडीशन के बारे में बताता हूं।"
वह दोनों अपनी बातों में व्यस्त थे ।उन्हें यह ध्यान नहीं रहा कि शक्ति का जो बॉडीगार्ड उस वक्त कमरे में था ।वह वहां पर नहीं था। वह बॉडीगार्ड कुछ खोया खोया सा लग रहा था और कुछ बड़बड़ा भी रहा था....
" ऐसा कैसे हो सकता है ??यह तो पॉसिबल ही नहीं है ।मैं पागल थोड़ी हूं ??नहीं !नहीं !मैंने तो किसी को नहीं देखा?? लेकिन किसको कहूं यह बात ??साहब और मालकिन तो मुझ पर गुस्सा हो जाएंगे !अगर मैंने उन्हें बताया तो ?या तो हो सकता है मुझे नौकरी से ही निकाल दें! नहीं ,नहीं !मैं उन्हें कुछ नहीं बता सकता ।अपनी जॉब के साथ बिल्कुल भी रिस्क नहीं ले सकता मैं??
लेकिन फिर मैं यह सब किसको बताऊं ?अगर मैं किसी को नहीं बताऊंगा?तो पागल हो जाऊंगा!! कोई तो हो ऐसा ?जो आराम से बैठ कर मेरी बात सुन ले!"
तभी उसकी नजर गेट पर खड़े सिक्योरिटी गार्ड की तरफ पड़ती है और वह उसकी तरफ अपने कदम बढ़ा देता है..