shabd-logo

कोई मेरी किताब क्यों पढ़े ?

27 मई 2016

181 बार देखा गया 181

कल रात जब मैंने एक फेसबुक मित्र से "कुछ तुम्हारे लिए" के बारे में पूछा तो जवाब एक सवाल के रूप में आया....
'
मैं/कोई तुम्हारी किताब क्यों पढ़े ?

इस सवाल ने उन दिनों की याद दिला दी जब प्रतियोगी परीक्षाओं के इंटरव्यू की तैयारी कर रहा था और इंटरव्यू दे भी रहा था । इसी सवाल से मिलता जुलता एक सवाल वहां भी पूछा जाता था ।
'
हम आप को क्यों चुनें ?' या 'आप इसी क्षेत्र में नौकरी क्यों करना चाहते हैं ?'
अब कोई भी बेरेजगार इस सवाल का जवाब दर्जनों बोतल सेवन अप पीने के बाद भी ईमानदारी से नहीं दे सकता । जवाब तो सीधा सा है कि भाई हर जगह ट्राई मार रहे कटिया फ़साने की । किसी भी तार में फसे तो पहले , लाईन चालू हो वोल्टेज और लोड की चिंता बाद में करेंगे । 
हर जगह एग्जाम दिया है । इसमें पास कर गया और इसका इंटरव्यू भी पहले आ गया सो इसी में आना चाहते हैं । नौकरी की जरूरत है । रहा सवाल क्यों ले तो भाई तुमको एक नौकर की तलाश है और हमें काम की । अब काम राम करे मोहन करे सोहन करे या अमिताब बच्चन काम जो दो गे वही करेगा और जहां तक बात कम या ज्यादा काम करने की है तो मालिक तुम हो , माई बाप हो , डण्डा चलाना खूब जानते हो इसलिए कम काम तो तुम लोगे नहीं फिर मेरे कम करने का सवाल नहीं उठता । 
ये है ईमानदारी वाला जवाब , पर इंटरव्यू लेने वाली की आँखे देखने के बाद हम चापलूसी करने लगते है । उसे अपनी वर्क एफिशिएंसी, स्मार्टनेस डिफरेंस बिटवीन हार्ड वर्क और स्मार्ट वर्क की बातों से रिझाने लगते हैं जो जायज भी है आखिर रिश्ते का सवाल है । शादी के पहले थोड़ा रिझाना, शर्माना और डरना तो पड़ता है ।

खैर इन बातों का कल रात के सवाल के जवाब से कोई सम्बन्ध नहीं । उस सवाल का जवाब बिल्कुल ही सीधा और ईमानदारी वाला है वो भी बिना सेवन अप पिए ।

सवाल :- आप मेरी किताब "कुछ तुम्हारे लिए" क्यों पढ़े ?

जवाब :- क्योंकि किताब पढ़ने के लिए लिखी जाती है । वैसे कुछ तुम्हारे लिए में ऐसा कुछ नहीं जिसे पढ़ कर आप सात दिनों में दुनिया या खुद को बदलने का सपना दिखने लगेंगे । ना ही ये आपको स्पोकन इंग्लिश या हिंदी का कोर्स में ही काम आने वाली है । फिर ??? 
फिर कुछ नहीं । इसे सिर्फ इसलिए पढ़े की हर एक लिखने वाला चेतन भगत या कुमार विस्वास नहीं होता पर हर कुमार विस्वास या चेतन भगत एक पाठक होता है । लिखने वाले ने अच्छा लिखा, बुरा लिखा या रद्दी की टोकरी में डालने लायक लिखा ये तय आपको करना है क्योंकि अपनी दही को खट्टा कोई नहीं कहता ।

सवाल :- आखिर इस किताब में ऐसा क्या है ?

जवाब :- प्यार । 
ये मैं नहीं बोल रहा । जिन लोगो ने इसे पढ़ा है मैं उनकी जबानी बोल रहा । मेरे हिसाब से हर किताब समुन्दर होती है । गोता लगाने वाले को क्या मिलता है ये तो उसके बाहर आने के बाद ही पता चलेगा । वैसे एक बात पक्के तौर पर कह सकता हूँ । किताब में मैं मिलूं या ना मिलूं किसी न किसी लाईन में खुद को जरूर पा लोगे ।

सवाल :- कितनी कॉपी बिकी ?/ कितनी कमाई हुई ?
जवाब :- पता नहीं । मैंने नहीं पूछा और जरूरत भी नहीं समझता । पैसे कमाने को किताब लिखनी है ये तो सोचा ही नहीं था । पहले ही कहा है मैं चेतन भगत नहीं हूँ ।

अब अगला सवाल किताब पढ़ने के बाद पूछना । तब तुम्हारे पास ज्यादा सवाल होंगे और मेरे पास जवाब ।फिलहाल लिंक ये रहा । उम्मीद है किताब पढ़ोगे । फिर भी मन में कोई संशय हो तो इनबॉक्स कर दो । जवाब ईमानदारी वाला ही मिलेगा । 
Amazon - http://goo.gl/fSfVcy
Fflipkart - https://goo.gl/cZM62w
Infibeam - http://goo.gl/R0EjiU

‪#kuchtumhareliye

8
रचनाएँ
kuchtumhareliye
0.0
लिखने को बहुत कुछ है और बताने को सैकड़ों किस्से , कमी है तो बस एक वक्त की ... जानता हूँ जितना मेरे पास है उससे कही कम तुम्हारे पास पर ये बाते सिर्फ मेरी तो नहीं इसमें काफी कुछ तुम्हारा भी है ,तो अब जब हम साथ बैठ नहीं पाते, चाय पर गप्पे नहीं लड़ा सकते तो क्या उन अनगिनत शामों के हवाले से मैं इतनी सी गुजारिश नहीं कर सकता की तुम अपनी सहूलियत से अपने वक्त पर आओ और फिर से सुनने सुनाने का रूठने मनाने का वो सिलसिला चालू करो जो बंद है महज रोटी के चक्कर में ...
1

कोई मेरी किताब क्यों पढ़े ?

27 मई 2016
1
3
0

कल रात जब मैंने एक फेसबुक मित्र से "कुछ तुम्हारेलिए" के बारे में पूछा तो जवाब एक सवाल के रूप में आया....'मैं/कोईतुम्हारी किताब क्यों पढ़े ?इस सवाल ने उन दिनों कीयाद दिला दी जब प्रतियोगी परीक्षाओं के इंटरव्यू की तैयारी कर रहा था और इंटरव्यूदे भी रहा था । इसी सवाल से मिलता जुलता एक सवाल वहां भी पूछा जा

2

क्योंकि लिखना जरुरी है

29 मई 2016
0
2
0

फेसबुक या कम्प्यूटर पर कीबोर्ड की सहायता से लिखना अलग बात है औरअसल जिंदगी में कागज पर कलम चलना अलग । आज तकनीकी तौर पे हम जितना दक्ष होते जा रहे उतना ही पीछे हम व्यवहारिक तौर पे होते जा रहे । आज बरसों बाद जब ख़त लिखने को कागज़ और कलम ले कर बैठा तब एहसास हुआ कि असल जिंदगी में मैंने आख़री ख़त लखनऊ से लिखा

3

‪#‎जवाबी_चिट्ठी‬

31 मई 2016
0
0
0

इधर कुछ नहीं लिख पाया हूँ । ऐसा नहीं है कि मेरे शब्दों खत्म होगए है, बहुत कुछ कहना चाहता हूँ , अपनी मुलाक़ात के बारे में लिखनाचाहता हूँ, वो इंतज़ार , वो बेकरारी , तुम्हारी सलाह सब कुछ उतार देना चाहता हूँ कागज पे; पर समझ नहीं पारहा शुरुआत कहाँ से करूँ और कहाँ पर अधूरा छोड़ दूँ । हाँ , मैं कुछ अधूरालिखना

4

21वीं सदी का पहला वेलेंटाइन डे

31 मई 2016
0
1
0

तकरीबन पंद्रह – सोलह  साल पहले ऐसे ही किसी फ़रवरी के महीने में पहलीबार मौसम की विविधता को समझा और महसूस किया था । उस समय शहर छोटा था या हम कहनामुश्किल है लेकिन अखबारों और हिंदी फ़िल्मो की बदौलत हम जान चुके थे कि फ़रवरी कीचौदहवी तारीख को आसमान में चौदवी का चाँद निकले या ना निकले ज़मी पर चाँदनी पुरेशबाब प

5

एक चिट्ठी तुम्हारे नाम

7 जुलाई 2016
0
0
0

माय डियर मोटी (मेरे जान की दुश्मन)हफ़्तों बाद आज सोचता हूँ तुम्हें ख़त भेज ही दूँ पर उसके लिए जरूरी है पहले उसे लिख डालूँ । जानता हूँ नाराज़ हो । होना भी चाहिए पर अब अगर हर ख़त का जवाब ख़त मिलते ही लिख दूँ तो फिर वो बात नहीं होगी जो अभी है । हमारे लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में जरूरी है कि तुम लगातार लिखती

6

दोस्त तुम्हारे लिए

13 जुलाई 2016
0
0
0

आज फ्रेंडशिप डे नहीं पर ना जाने क्यों तुम्हे याद करने का बड़ा मन हो रहा । शायद मैं एक बुरा दोस्त हूँ या फिर स्वार्थी या दोनों जो तुम्हारी खबर नहीं लेता । पर यार तुम किस मिट्टी के बने हो जो मेरी आवाज पर दौड़ पड़ते हो । मुझसे जुड़ा हर दिन , समय और जगह तुम्हे आज भी बखूबी याद है और मैं फेसबुक के भरोसे रहता

7

कुछ तुम्हारे लिए : प्रेम रंग में डूबी हुई कविताएँ । जयेन्द्र कुमार वर्मा की समीक्षा

26 जुलाई 2016
0
0
0

प्रेम जीवन का आधार है। प्रेम के अभाव में जीवन की कल्पना ही व्यर्थ है। प्रेम ही व्यक्ति में जीवन के प्रति मोह उत्पन्न करता है। प्रेम ही व्यक्ति में सपने जगाता है। रंग-विरंगे सपने। और उन सपनों में डूबकर मन अनायास ही गाने लगता है, गुनगुनाने लगता है, मचलने लगता है, चहचहाने लगता है, फुदकने लगता है। और यह

8

छह महीन में टूट गई सात जनमों की डोर

28 अगस्त 2016
0
1
0

इलाहाबाद से सटे कौशाम्बी जिले के पूरामुफ्ती के मनौरी की सोनी और इलाहाबाद के रोहन के घर में उस वक्त काफी खुशियां थीं। खुशी लाजिमी भी है। क्योंकि दोनों जल्द ही एक-दूसरे की जिंदगी का अहम हिस्सा बनने वाले थे। यानि की दोनों की शादी तय हो चुकी थी। आखिकार होते-करते वो रात भी आ ग

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए