दुखाऊँ दिल किसी का मैं -न कोशिश ये कभी करना ,
बहाऊँ आंसूं उसके मैं -न कोशिश ये कभी करना.
नहीं ला सकते हो जब तुम किसी के जीवन में सुख चैन ,
करूँ महरूम फ़रहत से-न कोशिश ये कभी करना .
चाहत जब किसी की तुम नहीं पूरी हो कर सकते ,
करो सब जो कहूं तुमसे-न कोशिश ये कभी करना .
किसी के ख्वाबों को परवान नहीं हो तुम चढ़ा सकते ,
हक़ीकत इसको दिखलाऊँ-न कोशिश ये कभी करना .
ज़िस्म में मुर्दे की जब तुम सांसे ला नहीं सकते ,
बनाऊं लाश जिंदा को-न कोशिश ये कभी करना .
समझ लो ''शालिनी ''तुम ये कहे ये जिंदगी पैहम ,
तजुर्बें मेरे अपनाएं-न कोशिश ये कभी करना .
शालिनी कौशिक
[कौशल]