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कोई और कहे न कहे - मैं तो कहूँगी - ''कृतज्ञ दुनिया इस दिन की .''

1 अक्टूबर 2017

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एक की लाठी सत्य अहिंसा एक मूर्ति सादगी की,

दोनों ने ही अलख जगाई देश की खातिर मरने की .

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जेल में जाते बापू बढ़कर सहते मार अहिंसा में ,

आखिर में आवाज़ बुलंद की कुछ करने या मरने की .

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लाल बहादुर सेनानी थे गाँधी जी से थे प्रेरित ,

देश प्रेम में छोड़ के शिक्षा थामी डोर आज़ादी की .

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सत्य अहिंसा की लाठी ले फिरंगियों को भगा दिया ,

बापू ने अपनी लाठी से नीव जमाई भारत की .

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आज़ादी के लिए लड़े वे देश का नव निर्माण किया ,

सर्व सम्मति से ही संभाली कुर्सी प्रधानमंत्री की .

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मिटे गुलामी देश की अपने बढ़ें सभी मिलकर आगे ,

स्व-प्रयत्नों से दी है बढ़कर साँस हमें आज़ादी की .

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दृढ निश्चय से इन दोनों ने देश का सफल नेतृत्व किया

ऐसी विभूतियाँ दी हैं हमको कृतज्ञ दुनिया इस दिन की .


शालिनी कौशिक [कौशल]

रवि कुमार

रवि कुमार

बहुत ही खूब

3 अक्टूबर 2017

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रचनाएँ
shalinikaushik2
0.0
नित नयी घटनाएँ मन को झकझोरती हैं और मानव प्रकृति कुछ न कुछ अभिव्यक्त करने को प्रेरित करती है बस इसी में दिखता है ''कौशल '' घटनाओं पर विरोध जताने की भावना में और मन में निरंतर उठती भावनाओं को अभिव्यक्त करने में .
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हिम्मतें दुश्वारियों में दोस्त बन जाएँगी .

5 दिसम्बर 2015
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ज़िंदगी की मुश्किलें हर रोज़ आज़माएंगी ,डरते-डरते गर जियेगा यूँ ही ज़ान जाएगी ...................................................................इस जहाँ में कोई तेरा साथ देगा ही नहीं ,यूँ डरेगा ,परछाई भी साथ छोड़ जाएगी ...............................................................आये हैं तन्हा सभी

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हिम्मतें दुश्वारियों में दोस्त बन जाएँगी .

5 दिसम्बर 2015
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ज़िंदगी की मुश्किलें हर रोज़ आज़माएंगी ,डरते-डरते गर जियेगा यूँ ही ज़ान जाएगी ...................................................................इस जहाँ में कोई तेरा साथ देगा ही नहीं ,यूँ डरेगा ,परछाई भी साथ छोड़ जाएगी ...............................................................आये हैं तन्हा सभी

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यही कामना हों प्रफुल्लित आओ मनाएं हर क्षण को .-2016

30 दिसम्बर 2015
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अमरावती सी अर्णवनेमी पुलकित करती है मन मन को ,अरुणाभ रवि उदित हुए हैं खड़े सभी हैं हम वंदन को .............................................................अलबेली ये शीत लहर है संग तुहिन को लेकर  आये  ,घिर घिर कर अर्नोद छा रहे कंपित करने सबके तन को .....................................................

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तलवार अपने हाथों से माया को सौंपिये.

28 फरवरी 2016
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बेबाक बोलना हो बेबाक बोलिये,पर बोलने से पहले अल्फाज तोलिये......................................................दावा-ए-सर कलम का करना है बहुत आसां,अब हारने पर अपने न कौल तोडिये........................................................बारगाह में हो खडे बन सदर लेना तान,इन ताना-रीरी बातों की न मौज लीजिए.

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'' न कोशिश ये कभी करना .''

26 मार्च 2016
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दुखाऊँ दिल किसी का मैं -न कोशिश ये कभी करना ,बहाऊँ आंसूं उसके मैं -न कोशिश ये कभी करना.नहीं ला सकते हो जब तुम किसी के जीवन में सुख चैन ,करूँ महरूम फ़रहत से-न कोशिश ये कभी करना .चाहत जब किसी की तुम नहीं पूरी हो कर सकते ,करो सब जो कहूं तुमसे-न कोशिश ये कभी करना .किसी के ख्वाबों को

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भावुकता स्नेहिल ह्रदय ,दुर्बलता न नारी की ,

8 अप्रैल 2016
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भावुकता स्नेहिल ह्रदय ,दुर्बलता न नारी की ,संतोषी मन सहनशीलता, हिम्मत है हर नारी की ........................................................................भावुक मन से गृहस्थ धर्म की , नींव वही जमाये है ,पत्थर दिल को कोमल करना ,नहीं है मुश्किल नारी की.................................................

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कोई और कहे न कहे - मैं तो कहूँगी - ''कृतज्ञ दुनिया इस दिन की .''

1 अक्टूबर 2017
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एक की लाठी सत्य अहिंसा एक मूर्ति सादगी की, दोनों ने ही अलख जगाई देश की खातिर मरने की . .......................................................................... जेल में जाते बापू बढ़कर सहते मार अहिंसा में , आखिर में आवाज़ बुलंद की कुछ करने या मरने की . ..................................

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गणतंत्र फ़साना बना हे ! हिन्दवासियों

25 जनवरी 2018
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फ़िरदौस इस वतन में फ़रहत नहीं रही , पुरवाई मुहब्बत की यहाँ अब नहीं रही . ...................................................................................... नारी का जिस्म रौंद रहे जानवर बनकर , हैवानियत में कोई कमी अब नहीं रही . .................................

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