बेबाक बोलना हो बेबाक बोलिये,
पर बोलने से पहले अल्फाज तोलिये.
.....................................................
दावा-ए-सर कलम का करना है बहुत आसां,
अब हारने पर अपने न कौल तोडिये.
.......................................................
बारगाह में हो खडे बन सदर लेना तान,
इन ताना-रीरी बातों की न मौज लीजिए.
..........................................................
पाकीजा खयालात अगर जनता के लिये हैं,
मांगने से पहले हक उनका दीजिए.
......................................................
सच्चाई दिखानी है माया को स्मृति,
अपने कहे हुए से पीछे न लौटिये.
...............................................
मुश्किल अगर हो काटना, अपने ही हाथों सिर,
तलवार अपने हाथों से माया को सौंपिये.
.............................................................
अब सर-कलम न मुद्दा रह गया स्मृति,
सरकार की इज्जत की ना नीलामी बोलिये.
.................................................................
ये "शालिनी" दे रही है, खुल तुमको चुनौती,
कानून के मजाक की ना राह खोलिये.
...........................................................
शालिनी कौशिक
कौशल