ज़िंदगी की मुश्किलें हर रोज़ आज़माएंगी ,
डरते-डरते गर जियेगा यूँ ही ज़ान जाएगी .
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इस जहाँ में कोई तेरा साथ देगा ही नहीं ,
यूँ डरेगा ,परछाई भी साथ छोड़ जाएगी .
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आये हैं तन्हा सभी जायेंगे तन्हा सभी ,
न समझ इस बार दुनिया तेरे साथ जाएगी .
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गम नहीं अपने मुकाबिल दुश्मनों को देख ले ,
मंज़िलें यूँ हर कदम पर नित नयी मिल जाएँगी .
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झेलकर हर बदजुबानी समझा रही ''शालिनी '',
हिम्मतें दुश्वारियों में दोस्त बन जाएँगी .
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शालिनी कौशिक
[कौशल ]