कोशलेन्द्र मिश्र
लेखक का परिचयः इनका नाम, कोशलेन्द्र मिश्र इनके दादा रामकुमार मिश्र, जो ब्रम्ह विद्या मन्दिर संस्कृत महाविद्यालय वृन्दावन में प्राचार्य थे, द्वारा प्रदत्त है। इनके दादा की कर्मस्थली वृन्दावन ही इनकी जन्मस्थली है। उम्र इतनी कम कि अभी ये 22 साल के भी नहीं हुए हैं। इनकी माता मोदमणी मिश्रा एक कुशल गृहमैनेजर हैं। इनके पिता, डॉ. भूपेन्द्र कुमार मिश्र एक राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य हैं और उनके ही विषय हिन्दी को अपना बनाकर ये काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से परास्नातक की पढ़ाई करने जा रहे हैं। इन्होंने अपना बी.ए. (हिन्दी आनर्स) और बी.एड. (भाषा समूह) भी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बी.एच.यू) से ही पूरा किया है। इनकी बारहवीं तक की शिक्षा दो चरणों में संपन्न हुई। कक्षा एक से पाँच तक की शिक्षा इनके पड़ोस के गाँव के स्कूल से और कक्षा छह से बारहवीं तक प्रेम जागृति विद्यापीठ, देवरिया से जो एक ओजस्वी संन्यासी के तपोबल से अनैतिकताप्रूफ है। इनका मानना है कि इनका लेखन महज एक संयोग नहीं, वरन यह इनके परिवार की तीन पीढ़ियों की भाषा-साधना के नो बॉल से मिली फ्री हिट है।
कुल्हड़ भर इश्क : काशीश्क
वा और प्रसाद उतना ही लेना चाहिए जितना देने वाले देते हैं, अधिक लेने के लिए जबर्दस्ती नहीं की जाती। इश्क की खुराक इतना आतुर करती है कि लोग खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाते और अपनी तबीयत की औकात से ज्यादा ले लेते हैं फिर पढ़ाई पर गाज गिर जाती है। कुल्हड़ भ
कुल्हड़ भर इश्क : काशीश्क
वा और प्रसाद उतना ही लेना चाहिए जितना देने वाले देते हैं, अधिक लेने के लिए जबर्दस्ती नहीं की जाती। इश्क की खुराक इतना आतुर करती है कि लोग खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाते और अपनी तबीयत की औकात से ज्यादा ले लेते हैं फिर पढ़ाई पर गाज गिर जाती है। कुल्हड़ भ