में कुछ ऐसे लोगों के साथ काम कर रहा हूं जो बहुत बुद्धिमान, बहुत सक्षम और बहुत प्रतिभाशाली हैं – लेकिन वे अनिर्णय और विश्लेषण पक्षाघात में फंस जाते हैं।वास्तव में, अंतहीन विकल्पों में से उखाड़ फेंकना और खो जाना निष्क्रियता पैदा करके उनकी प्रभावशीलता और बुद्धिमत्ता को क
दोपहर तक बिक गया बाज़ार का हर एक झूँठ, और मैं एक सच को लेकर शाम तक बैठा रहा ! (फेसबुक ज्ञान ) आज के जमाने का मनुष्य काफी स्मार्ट बन चुका है, उसे किसके साथ कितना और किस तरीके से