धो लो अपने गुनाहों को,क्रूस से लहू बह रहा है।
कर लो अपने को साफ,प्रेम का चश्मा बह रहा है।
अवसर नहीं मिलता बार बार मुझको आपको
मिला है मौका एक बार, सुन लो वो बुला रहा है।।
मिट जाते सारे दाग, जो इसमें नहा लेता है
हों कैसे भी पाप, सब इसमें धुल जाते हैं।
लगा लेता है गले से खुदा सबको
करके पश्चाताप जो इसमें आ जाते है।।
खुदा का बेटा, मेरे पाप उठा ले गया
मिलना था जहन्नुम, जन्नत मुझे दे गया।
कितना प्यार करता है खुदा मुझसे
खुद अपने बेटे को मेरे बदले दे गया।।
खुदा का वचन कह रहा है
अवसर हमे मिल रहा है।
धो लो अपने गुनाहों को
क्रूस से लहू बह रहा है।।
जो किए गुनाह हमने, को देखो
कमी दूसरे की नही अपने को देखो।
अब संभल जा मिला है अवसर
क्रूस से बहते हुए लहू को देखो।।
महेन्द्र "अटकलपच्चू" ललितपुर (उ. प्र.)
मो. +918858899720
___________________________________