यायावर लेखक क़िस्सागोई के अंदाज़ में आपको अपनी यात्रा कथाएँ सुनाते-सुनाते पेड़ों, पहाड़ों, पंछियों, नदियों, तालाबों और लोगों से तो मिलाता ही है, मौका मिलते ही धरती और आसमान की कहानियाँ सुना कर आपको आपके समय की समस्याओं से भी रू-ब-रू कराता है। मतलब आपस में बारीकी से गुंथी हुई ये दुहरी कथाएँ हैं—यात्रा कथाएँ भी और किस्से-कहानियाँ भी।
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