दिल गिरवी रख
दिल गिरवी रख
दिल गिरवी रख वापस आये,
दो अनजाने नयनन मे
जो कहना था कह नहि पाये ,
क्या कहना इस उलझन मेक्या होती है सुन्दरता कोकल ही मैने जाना था,हम कितने लल्लू थे परवो तो बड़ा सयाना था,चलते-चलते उसने मुड़कर तिरछी नजर से देखा था,फिर हौले से रुककर इकनैन कटार सा फेंका था,जो लगा था सीधे सीने मे,पर तकलीफ हु