खुश्बू
अपनी ही खुश्बुओ में महकता हुआ मिला ,
हर शख्स जैसे सीप में सिमटा हुआ मिला ,
कैसा अजीब शहर , कैसे अजीब लोग ,
हर एक कुछ ना कुछ तलाश करता हुअ मिला |
पहले ही आग में थे हम हवा और चल गई ,
दिल दोस्तों के बीच सुलगता हुआ हुआ मिला ,
खुश्बुओं की बाते करता था जो कभी ,
फूलो को आज फिर वो कुचलता हुआ मिला