दिल मेरा मुझसे अब अक्सर, पूछता है बस यही
दिल मेरा मुझसे अब अक्सर, पूछता है बस यही |
यूँ मुझे गैरो को देने, का तुम्हे अधिकार क्या है ?
तुमने किया वादा मुझी से, दिल्लगी थी तो कहो फिर |
गर वो सब कुछ दिल्लगी थी, तो कहो फिर प्यार क्या है ?
क्यूँ हुई चाहत तुम्ही पे, प्यार में खुद को भुलाया |
रुक गए बढ़ते कदम भी,नाम तेरा गर सुन भी पाया |
मिट गई हस्ती हमारी, पर मैं तुमसे कह ना पाया |
कल्पना के इस भँवर में,याद फिर मुझको क्युँ आया ?
कल बनेगी तू किसी की, दिल तेरा तुझसे कहेगा |
क्यूँ हुई रोहित से मुहब्बत ,अब गिले का राज क्या है |
दिल मेरा मुझसे अब अक्सर, पूछता है बस यही |
यूँ मुझे गैरो को देने, का तुम्हे अधिकार क्या है ?............1
मिल सकी ना तू मुझको,ना तेरी चाहत मिली
चारु चंद्र हो तुम हकीकत, रोशनी मुझमे नहीं
है सरल तू सरस अमिय,अब बचपना तुझमे नहीं |
प्यार क्या है ये हकीकत,जानता है तब सही |
प्यार करके खफा जब खुद से होता है कोई |
तो आंख की गहराइयों में डूबने का सार क्या है ?
दिल मेरा मुझसे अब अक्सर, पूछता है बस यही |
यूँ मुझे गैरो को देने, का तुम्हे अधिकार क्या है ?..............2
हिमालय से एक बूंद,जल की निकली थी कभी |
उस बूंद की याद में वो,रो रहा है आज भी |
बह रही कितनी नदियाँ, उस गिरी के आँसु से |
बढ़ रहा है प्यार उसका दर्द के अविराम से |
जीत किसकी हार किसकी,प्यार में कुछ भी नहीं |
जीतकर जब हार गया, तो प्यार का इजहार क्या है |
दिल मेरा मुझसे अब अक्सर, पूछता है बस यही |
यूँ मुझे गैरो को देने, का तुम्हे अधिकार क्या है ?...............3
दिल मेरा मुझसे अब अक्सर, पूछता है बस यही |
यूँ मुझे गैरो को देने, का तुम्हे अधिकार क्या है ?
तुमने किया वादा मुझी से, दिल्लगी थी तो कहो फिर |
गर वो सब कुछ दिल्लगी थी, तो कहो फिर प्यार क्या है ?