मैंने भूत देखामैंने एक बार देखा है भूत...वह छाया थी, या सच-मुच!एक दिन गोधुली के समय बेतिया रेलवे स्टेशन के करीब घटित हुई एक घटना की स्मृति ताजी हो गई।संभवतः अप्रैल 1969 की बात है, याने आज से लगभग 52 साल पहले की बात।उधर, शहर से बाहर, उन दिनों प्रायः सन्नाटा रहता था पर आज वह चकाचक फोर लेन कनेक्टिंग हा
✳️🌺🌹।।🕉️।।🌹🌺✳️कोरोना महासंक्रमण से राष्ट्रसीमाओं और टिड्डी दल तक!रुष्ट प्रकृति, तमसा छाई-आहत शोणित गृहि-साधु तक!!सनातन से विमुख हुए सभी-तमसा छाई है क्षितिज तक!चहुदिशी ताण्डव नृत्य महाकाल का-शनि-दृष्टि हुई वक्र!!🙏🏻 डॉ. कवि कुमार निर्मल 🙏🏻
सृजनात्मकतासाहित्य श्रिंखला अद्भुत हैअभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हैसृजन में संस्कृति कीनैसर्गिक माला पिरोयेंमानववादियों को अतिशिध्रएक मंच पर लायेंडॉ. कवि कुमार निर्मल
साहित्य श्रिंखलाअद्भुत हैअभिव्यक्ति कीस्वतंत्रता हैसृजन में संस्कृति कीनैसर्गिक माला पिरोयेंमानववादियों को अतिशिध्रएक मंच पर लायेंडॉ. कवि कुमार निर्मल