🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤 कहानी आज-कल की 🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤कहानी नानी-दादी कीसुनने का वख़्त कहाँ?स्कुल- कॉलेज- औफिस बंद, ऑनलाइन सहारा है🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤चाँद-सितारों-गुड़िया कीबातें रह गई कहाँ?घर में दुबके छ मास-निकला बेहिसाब दिवाला है 🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤कहानी ह
★☆★☆कविता लॉक डाउन☆★☆★नित दिन तन्द्रा है "लॉक डाउन" अति भारीउठ कर हटात् एक कविता लिखने की पारीआज बैठेगा न कोई मुखिया न है कोई पटवारीशांति छाई चहुँदिसी न गहमा-गहमी, मारा-मारीड्युटी अॉन-लाइन हीं है करनी, आजादी हैदेर सबेरे तक सबको जी भर आज सोना हैआज न खोना कुछ, सिर्फ- पाना हीं पाना हैप्यार-मुहब्बत का
कोरोना में रक्षाबंधन का स्वरूपकोरोनाकाल में रक्षाबंधन का स्वरूप-चिपका होठों से हलाहल का प्याला हैलुप्त हो रहा आतंकि कोरोना समित हो,पर जाते जाते स्वरूप बदल डाला हैएकलौता भाई- अटका उदास सात समुन्दर पार-आंसुओं में सारा जग डूबा हैरक्षाबंधन आ हर्षाया हर बार--भाई-बहन का मिलन होता सबसे प्यारा हैजय हो! जय
मानव रे चेतलोग-बाग तुझे- पत्थरों में तराश मंदीरों में बैठाते हैं!'सुनहरी फ्रेम' में तुझे जड़वा, दम तेरा घुटवाते हैं!!अष्टधातु-सोने की मूर्ति बनवा, "ताला" लटकाते हैं!कैलेन्डर-किताबों में छपवा दीवारों पर टाँग देते हैं!!गर्मी के मौसम में- भक्त चादरों तले तुझे दबाते हैं!दम घुटता प्रभु का- धुँआ कुण्ड स
💐💐राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस💐💐भारत का डॉक्टर हार रहा-हुआ हताशकवि अश्रु बहा थकित-हो रहा निराश''कोभिड'' फटेहाल देख डॉक्टर कोआगोश में समेट कहीं छुप जाता हैघर में बने 'मास्क' पहन क्या (?) कोईकोभिड संक्रमण से क्या बच पाता हैपैदल चल कर आखीर कैसे डॉक्टर५लाख पार खाने वाले को-मार भगा पाएगापहुँच रहा आँकड़
नकल नहीं अक़ल''हैप्पी फादर्स डे"💕💕🙏💕💕भारतीय संस्कृतिके गाल पर रपटमहज़ यह कम्युनिटीसाइट्स परमचा हंगामा है।स्टेटस लगाना मतलब पिता कीइज्जत नहीं बढ़ना है।।१ का दिन हो-हल्ला मचाबाकी दिन गटक जाना है।।।पिता कोई घटना नही है किएक दिन हीं वह पूजा जाए।बाकी ३६५दिन उसका तिरिस्कार कर अवहेलित रखा जाए।।"वृद्धा
"कोरोना महामाया"कोई बोला- आर. एन. ए. युक्त भाइरस यह कोभिड- 19 हैकोई डी. एन. ए. भाइरस कह-लैब अनेक चमका दियाअभी प्रोटीन का तो कभीलाइपिड आवरण पहना दियाकभी बिषाक्त कणवसा आवृत कह कर भरमा दियाभाइरस को बैक्टेरिया कहा-डब्ल्यू. एच. ओ. गरमा गयाकल्चर न कर पाया मगरजाँच से पोजिटिभ बतला दियादवा नहीं उपलब्ध परन्त
✳️🌺🌹।।🕉️।।🌹🌺✳️कोरोना महासंक्रमण से राष्ट्रसीमाओं और टिड्डी दल तक!रुष्ट प्रकृति, तमसा छाई-आहत शोणित गृहि-साधु तक!!सनातन से विमुख हुए सभी-तमसा छाई है क्षितिज तक!चहुदिशी ताण्डव नृत्य महाकाल का-शनि-दृष्टि हुई वक्र!!🙏🏻 डॉ. कवि कुमार निर्मल 🙏🏻
"परिवर्तन"लाख मुखौटा तुम,रकम-रकम काचाहे बदल डालोमुद्दतों से रूठी तक़दीर,चाहे फुसला मना डालोपत्थर को चूर-चूर करधूल के पहाड़ बना डालोबची-खुची मानवता,भस्म कर राख़ बना डालोज़िन्नात - हैवान बन,समंदर में आग़ लगा डालोमयपन के गुरूर से,रुहानी दौलत जुदा कर,जमीन को कंकालों से पटा डालोकोभिड मुँह बाये सामने खड़ा हैंत्
सामयिक साहित्य____🖊महामारी / पैंडेमिक से बचने के लिये हमारे शास्त्रों में कतिपय (करणीय) निर्देशन उपलब्ध हैं:---मेरे सद् गुरु नियम दिए "सोड्ष विधि", जिसके अंतरगत् 'व्यापक सौच'★ और 'सौच मंजुषा'★★सर्वोपरी हैं।【1】 लवणं व्यञ्जनं चैव घृतं तैलं तथैव च।लेह्यं पेयं च विविधं हस्तदत्तं न भक्षयेत्।।धर्मसिन्ध
"कवि हताश"अजीब बात है!हैरतअंगेज माहौल है!!सांसत आई विकराल, अजीबोगरीब हालात है!!!जब भयंकर दमघोंटू प्रदुषण था!ठेलमठेल- उमस भरी- दम घुटता था!!खुले में दुषित वायु फेफड़ों को भरता था!आज जब अजुबा भाइरस आया!सड़कों पर हटात् सन्नाटा छाया!!दिल्ली महानगर तक सुधर सँवर गया!आज सभी छुटभइये- युवा व वृद्ध घर में द
★★★★कोरोना★★★★"आंकड़े" देख शोहबत को'नजायज' करार दी"क्वारेंटाइन" के बाद हीं आना घर!ये आस दीदिल है कि सात समन्दर पाररह कर भी प्यार बरकरार है'मोबाइल' में तश्वीर देख-आँसुओं की बह रही धार हैप्यार को महज़ जिस्मानी रिस्ता कहा!यह रुहानी बात हैकोरोना की सुन्दरता जरा देख लेना,लाल! क्या? बात हैडॉक्टर कवि कुम
कोरोना ऐसे कई कहरहमने झेले हैं।लौक डाउन कर इसेहम खदेड़े हैं।।सुना-पढ़ा है प्लेग नेलाखों को खाया है।लाल आंख लिएबगंला देश भी छाया है।।जापानी जेएन-यू एस से एचएन आया है।पीएफ हजारों बच्चे-जवानोंको खाया है।।अब हम जब वतन के एक हो गये हैं।कोभिड १९ को सीमाओं पर घेर रहे हैं।।लाइलाज हो मगर क्वारेंटाइन काफी है।
👹कोरोना का कहर👹अनैश्वरवाद औरपूंजिवाद निगलविलुप्त हो जाएगा।तामसिक और राजसिकआहार-विचार- व्यवहारधरा धाम से उठ जाएगा।।ताण्डव नर्तन कीमुद्रा में थिरक रहेशिव के पैरों तलेकुचला रे जाएगा।नैतिकवादी विश्व के होंगे एक"सद् विप्र समाज"स्थापित हो जाएगा।।"विश्व बँधुत्व"कायम होगाजाति-सीमा का पृथकतावादमिट जाएगा।
🕉️ 🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️ 🕉️दीपक यह जलता रहा रात भरज्योत्सना से भरी रात्रि जी भरदग्ध-बीजों को मीले सातवरअमरत्व मिला न आएगाजरगुँजायमान् चहुंओर शंखनाद् स्वर'कोरना' व्यध्र- इति होना है कहर नैतिकवादियों का प्रारंभ प्रहरसात्विकों की जय- सुनिश्चितअनैश्वरवादी का अंत निश्चितअजपाजप वर करें सब मिलकरहर आतंकी स्व
खबरदार पाकिस्तानआज एल. ओ. सी. पार ९ आतंकीहिमाकत कर फिर ढ़ेर हुए।इमरान को क्वारेन्टाइन कीजरुरत नहीं- सीमा पारसमय को नज़ाकत भूलउझील दिए।।कोरोना की अंत्येष्टि कर लेंसमझे नहीं पुलवामा-बार-बार पंगा लिए।कब्रें बनालो यार चीन केपाक पर जलेगें हमारे१० लाख दिए।।डॉ. कवि कुमार निर्मल
मज़हबी रफ़्तार जरा थम जाएहर आदमी घर में- सिमट जाएफिक्र हो गर 'अहले वतन' कीतो हर किरदार बन सँवर जाएकवि कुमार निर्मल
कोरोना से कवि धायल!कोरोना का कहर देखलेखनी थमी हरजाई है!भूत को बिसरा- भयाक्रांत,आगे ज्यों खाई है!!अभूतपूर्व सौहार्दपूर्णता शुभ-चहुंदिश छाई है!'क्वारेन्टाइन' से कजाकोरना की बन आई है!!आर्थिक बिपदायें तोकई बार आ हमें रुलाई है!संकट पार हुए सारे,हर घर में खुशियां छाई है!!हौसला पुरजोर- बुलंद इरादे,थका नहीं
🙏🙏 समय की पुकार🙏🙏निरीह पशु-पँछियों को अपनीक्षुधा का समान मत बनाओइनमें जीवन है, इनको अपनोंसे वंचित कर रे नहीं तड़पाओखाद्यान्न प्रचूर है, और उगाओ"अहिंसा" का सुमार्ग अपनाओ🌳🌲🌼🌺🌷🌺🌼🌲🌳सौन्दर्य वर्धन हो धरा काशुन्य पर मत सब जाओपशु-पादप-वृक्ष-ताल-तलैया के
🙏कोरोना की विदाई🙏"कोरोना" की कर रहाचीन विदाई!भारत क्योंकर करे उनकी भरपाई?ठप्प हुआ आयात, आगे नाम मत लेनामेरे भाई।कैलाश-मानसरोवर लौटाए, भला करेगा उनका साईं।डॉ. कवि कुमार निर्मल