खेलती- हँसती मुस्कुराती हुई लड़की, बचपन खुशी से हाँ जीती हुई लड़की, घर में ही रहने की हिदायत मिली है, आने जाने की टोक सहती हुई लड़की। हर कदम पर ताना सुनती हुई लड़की, घर में सबके काम करती हुई लड़की, सेवा खाना सबके लिए बनाये फिर भी, "क्या करती है" सुनती हुई लड़की। बचपन से जवानी आती हुई लड़की, मासूम कली से फूल बनती हुई लड़की, सबकी नजर के निशाने पर आए, बुरी नजर से खुद को बचाती हुई लड़की। अपने ही खोल में दुबकी हुई लड़की, दुनिया के डर से छुपती हुई लड़की। कहीं न आ जाये क्रूर हाथ किसी का, राह में गुजरते भी सहमी हुई लड़की। हौसले के दम आसमाँ छूती हुई लड़की, ससुराल में चूल्हे सी जलती हुई लड़की, बंदिशें तोड़ मुहब्बत करने लगी जब, प्यार में सब सितम सहती हुई लड़की। मजबूरियो में भी गर्व बनती हुई लड़की,
देश के लिए जान लुटाती हुई लड़की, जब जब मिला मौका इसको ये, खेलो में अव्वल आती हुई लड़की। काम ईमानदारी से करती हुई लड़की, फिर भी कोख में मरती हुई लड़की, बोझ नहीं हूँ मैं मुझसे तुम्हारा घर है, जमाने को शान से बताती हुई लड़की। ©सखी