shabd-logo

लड़की

18 जुलाई 2019

210 बार देखा गया 210
खेलती- हँसती मुस्कुराती हुई लड़की, बचपन खुशी से हाँ जीती हुई लड़की, घर में ही रहने की हिदायत मिली है, आने जाने की टोक सहती हुई लड़की। हर कदम पर ताना सुनती हुई लड़की, घर में सबके काम करती हुई लड़की, सेवा खाना सबके लिए बनाये फिर भी, "क्या करती है" सुनती हुई लड़की। बचपन से जवानी आती हुई लड़की, मासूम कली से फूल बनती हुई लड़की, सबकी नजर के निशाने पर आए, बुरी नजर से खुद को बचाती हुई लड़की। अपने ही खोल में दुबकी हुई लड़की, दुनिया के डर से छुपती हुई लड़की। कहीं न आ जाये क्रूर हाथ किसी का, राह में गुजरते भी सहमी हुई लड़की। हौसले के दम आसमाँ छूती हुई लड़की, ससुराल में चूल्हे सी जलती हुई लड़की, बंदिशें तोड़ मुहब्बत करने लगी जब, प्यार में सब सितम सहती हुई लड़की। मजबूरियो में भी गर्व बनती हुई लड़की, देश के लिए जान लुटाती हुई लड़की, जब जब मिला मौका इसको ये, खेलो में अव्वल आती हुई लड़की। काम ईमानदारी से करती हुई लड़की, फिर भी कोख में मरती हुई लड़की, बोझ नहीं हूँ मैं मुझसे तुम्हारा घर है, जमाने को शान से बताती हुई लड़की। ©सखी
प्रियंका शर्मा

प्रियंका शर्मा

ऐसा लगता है , एक लड़की के जीवन को पन्ने पर उतर दिया आपने .

19 जुलाई 2019

शब्दनगरी संगठन

शब्दनगरी संगठन

बेटी है तो घर में सुख है

19 जुलाई 2019

7
रचनाएँ
Adhuraishq
0.0
सुनो ! ये इश्क़ क्यों अधूरा है, जबकि इसमें तुम हो मैं हूँ..
1

आप

17 जुलाई 2019
0
3
2

आप अजीब शब्द लगता है मुझे क्यूंकि जब लोग मिलते हैं तो अजनबी होते हैं तो आप बोलते हैं. . मगर तुम जब गुस्सा होते थे तब बोला करते , या फिर तब जब बहुत प्यार से बात करनी होती

2

लड़की

18 जुलाई 2019
0
5
2

खेलती- हँसती मुस्कुराती हुई लड़की, बचपन खुशी से हाँ जीती हुई लड़की, घर में ही रहने की हिदायत मिली है, आने जाने की टोक सहती हुई लड़की। हर कदम पर ताना सुनती हुई लड़की,

3

वो यादें बचपन की

10 अगस्त 2019
0
2
0

कितने खेले खेल बचपन में , याद आएंगे वो उम्र पचपन में। गिल्ली डंडा, लट्टू को घुमाना, गिलहरी में फिर साथी को सताना। खो खो बड़ा पसन्दीदा लगता, अंटी तो माँ को ही अच्छा न लगता। जमा करते बड़े भैया जब अंटी, माँ डाँट कर घर से बाहर फेंक देती। सांप सीडी में साँप से काटे जाते, लूडो में तो हम कभी न हारते। गुड़िया

4

शायरी

10 अगस्त 2019
0
2
0

तेरे बिन भी कभी हमें जीना होगा सोचा कहाँ था, बिन धड़कन के भी दिल धड़केगा सोचा कहाँ था, हमको तेरी खबर जमाने से अब तो मिलने लगी हैं, तू इस तरह हमसे बेखबर हो जाएगा सोचा कहाँ था। ©सखी

5

वो ग़ज़ल है

23 सितम्बर 2019
0
3
0

उनके लबों से निकला हर शब्द ग़ज़ल है,उनकी आंखों में रहता समंदर भी ग़ज़ल है,उनके गेसुओं पे कभी जो एक शब्द कह दूं,मेरे लिए तो वो एक हर्फ़ भी पूरी ग़ज़ल है।घटाएं बसती हैं उनकी जुल्फ की छाँव में,वो घटा अल्फाज में आ जाय वही ग़ज़ल है। उनके लबों से निकला हर लफ्ज़ ग़ज़ल है,उनकी तारीफ भी मेरे

6

मेरा गाँव

23 सितम्बर 2019
0
3
1

मेरा गाँव अब शहर सा हो गया है, बाकी तो नहीं पता, कंक्रीट पत्थर लिया है।मेरा गाँव अब शहर हो गया है।थे कई घर मेरे गाँव में मेरे, जहाँ पड़ जाती नींद आ जाती थी,इन मखमली गद्दों पे नींद आती नहीं,मेरा घर भी तो अब एक हो गया है।मेरा गाँव अब शहर हो गया है।पहले नीम की छांव ठंडक देती थी,सुराही का पानी ठंडा होता

7

स्वच्छ भारत

2 अक्टूबर 2019
0
2
0

स्वच्छ भारत सोच रही हूँ मैं सुबह से, स्वच्छ भारत पर क्या लिखूँ🤔 ये अरमान है प्रधानमंत्री का, या फर्ज है हम सब का🤔 अपना घर साफ करते हम, कूड़ा उठाकर बाहर डाल देते हम🤦🏻‍♀ जैसे अपना घर ही अपना है😇 बाकी का भारत बस पी एम का सपना है.. 🤷🏻‍♀ नगरपालिका आएगी तो ये करेगी😛, नगरपालिका आयेगी तो वो करेगी,🧐

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए