मेरा गाँव
मेरा गाँव अब शहर सा हो गया है, बाकी तो नहीं पता, कंक्रीट पत्थर लिया है।मेरा गाँव अब शहर हो गया है।थे कई घर मेरे गाँव में मेरे, जहाँ पड़ जाती नींद आ जाती थी,इन मखमली गद्दों पे नींद आती नहीं,मेरा घर भी तो अब एक हो गया है।मेरा गाँव अब शहर हो गया है।पहले नीम की छांव ठंडक देती थी,सुराही का पानी ठंडा होता