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आग लगती है जब ज़माने में

28 जनवरी 2015

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featured image आग लगती है जब ज़माने में देर लगती है क्यों बुझाने में आदमी इतनी दूर जा बैठा उम्र बीती है क़रीब लाने में अपना था गाँव अपने थे सभी देर फिर क्यों लगी पहचान ने में चैन एक पल भी ना मिला यारों उम्र बीती है आने जाने में उम्र की झुर्रियों को वक़्त नहीं लगता वक़्त लगता है मुस्कुराने में आग लगती है जब ज़माने में देर लगती है क्यों बुझाने में रेखा रानी जायसवाल
ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल !

6 जुलाई 2015

विजय कुमार शर्मा

विजय कुमार शर्मा

समयानुकूल रचना

15 फरवरी 2015

शालिनी कौशिक एडवोकेट

शालिनी कौशिक एडवोकेट

BAHUT SUNDAR BHAVPOORN PRASTUTI REKHA JI

28 जनवरी 2015

हर्ष अग्रवाल

हर्ष अग्रवाल

बहुत सुन्दर

28 जनवरी 2015

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मोहब्बत

28 जनवरी 2015
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मोहब्बत ँ ँ ँ ँ ँ ँ ँ ँ ँ ँ ँ मोहब्बत में आँसू बहाने चली हँू ख़ुद अपनी हस्ती मिटाने चली हँू कई दौर गुज़रे कई अश्क़ पीके यादों को तेरी मिटाने चली हँू

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आग लगती है जब ज़माने में

28 जनवरी 2015
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आग लगती है जब ज़माने में देर लगती है क्यों बुझाने में आदमी इतनी दूर जा बैठा उम्र बीती है क़रीब लाने में अपना था गाँव अपने थे सभी देर फिर क्यों लगी पहचान

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ये भारत देश हमारा

14 अगस्त 2015
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ये भारत देश हमारा ये भारत देश हमारा जान से प्यारा देश हमारा ये भारत देश हमारा कहीं है मंदिर , कहीं है मस्जिद कहीं है गिरजा , गुरुद्वारा ये भारत देश हमारा

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मेरा भारत महान

15 अगस्त 2015
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सबसे प्यारा सबसे न्यारा मेरा हिन्दुस्तान सबसे अच्छा सबसे सुन्दर मेरा हिन्दुस्तान स्वर

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जय श्री राम

15 अप्रैल 2016
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