सुनो!
मैंने आज सपना देखा
तुम्हारे बिस्तर के बगल में
बैठ मैं निहार रहा था
तुम्हारें अप्रतिम सौंदर्य को।
फिर मालूम....
मैंने चूमा तुम्हें इस कदर
मानों कोई गर्म मोम हो
तुम्हारें कांधे पे
तुम भी तो चाहती थी
थोड़ा जलना मोहब्बत की लौ से
साथ में एक निशां।
मालूम... सर के ऊपर से
ऊपर कर रहा था जब
तुम्हारें लाल गाउन को
महसूस किया मैंने
चौगुनी रफ़्तार से दौड़ती
तुम्हारी धड़कनों को
तुम्हारी बंद आँखें
अधरों की मन्द मुस्कान को
तुम्हारें पल्लवित चेहरे को
और हया में सिमटे
तुम्हारें कांधे को
उस गाउन की लाल रौशनी में।
चलो अच्छा हुआ
तुम रंग गई मेरे हाथों
होली के दिन
मेरे पसंद के रंग में।।