सुनो
जब मैं चला जाऊंगा
इस दुनिया से
सदा के लिए
तो रोओगी तुम
पर मैं महसूस
ना कर पाऊंगा।
भेजोगी फूल
और ख़त हमें
पर देख ना पाऊंगा।
मालूम है मुझे
तुम तारीफों के
पूल बाँधोगी
पर उस पर
कैसे चढ़ पाऊंगा।
माफ़ कर दोगी
मेरे गलतियों को
पर तब उसकी
जरूरत ना होगी।
बेहद मिस करोगी मुझे
पर मैं महसूस
ना कर पाऊंगा।
सोचोगी तुम
काश व्यतीत कर पाती
कुछ समय मेरे साथ भी।
और जब सुनोगी
मैं ना रहा अब
दौड़ के आओगी
मेरे घर, संवेदना
साथी के साथ।
लेकिन सोचा है कभी?
हमें बात किये
एक अरसा हो गया
देखों, सुनों और उत्तर दो।।
सीख: अपने हृदय के आस पास रहने वाले सभी 'अपनो' को समय दे, उन्हें खुश रखने के लिए जितना हो सके उनकी मदद करे, अपने रिश्तों को महत्त्व दे। उन्हें स्पेशल फील कराएं क्योंकि पता नहीं समय कब आपसे आपके अपनो को छीन ले।