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एक उम्मीद

2 सितम्बर 2021

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कभी कभी सोचता हूँ

तुम्हारी हमारी जिंदगी 

एक फ़ाइल की तरह है

जिनमें तमाम पन्ने है

अलग अलग रंग के

कुछ तो दिल की कलम से

लिखकर भरे जा चुके है

लेकिन ज्यादातर अभी कोरे है

जिन्हें अभी लिखना है

पेंट करना है, रंग भरना है

हा, कभी ऐसा भी हो सकता है

कि तूफान में हवाओं के झोंके से

फ़ाइलों से पन्ने निकलकर 

तितर बितर होने लगे

और बारिश में भीगने लगे

उस समय उन्हें पूरी तरह 

भीगने से पहले 

पन्नो को बटोर कर

मैं लाऊंगा वापस तुम्हारे पास

और उम्मीद है कि तुम

उन पन्नो को बड़े जतन से 

सुखाकर, उन्हें प्रेस करके

फ़ाइलो में सहेज कर पंच करोगी

महसूस करोगी उन हवाओं 

के उड़ने से बहने वाली

धूल के कणों की 

जो मेरी आंखों में पड़कर

मेरी आँखों को लाल कर देंगे

फिर देखभाल करोगी 

उन आँखों की

हौले से फूँक मरोगी

फिर यकीं दिलाओगी

माथे को चूमकर

कि उन पन्नों को हमेशा 

संजो के रखोगी

कभी उड़ने ना दोगी

कभी फ़ाइल से पन्नो की

पकड़ कमज़ोर ना पड़ने दोगी

चाहे तूफान कितना भी बड़ा हो।।


           ✍️पंकज गुप्ता 'हृदय'

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बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।

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बहुत अच्छा लगा

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क्या बात है.... बहुत बहुत ख़ूब। आपने स्वतंत्र छंद में लिखा है, फिर भी पढ़ते समय हृदय में एक लय बंधती जाती है। सुकून से पढ़ लिया जाय... तो मिजाज़ खुश हो जाए। 🙏🏻💐( ◜‿◝ )

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