shabd-logo

उठूँगा मैं धूल सा

22 दिसम्बर 2021

38 बार देखा गया 38

तुम मुझे गिरा देना

अपने विकृत मिथ्या से।

छलनी कर देना

मेरे चित्त को अपने

घृणित शब्दों के बाणों से।

थोड़ा जला भी देना अपनी

बुरी नजरों की ज्वाला से।

कुचल देना मुझे धूल में

अपनी अकड़ से।

फिर भी मै उठूँगा

उसी धूल सा.....…

ज़रा ध्यान रखना अपनी

प्रिय मिथ्या का

कहिं उसे उड़ा ना ले जाऊ।

ध्यान रखना अपने प्यारे

मित्र शब्दों के बाणों को

कहिं हवाओं के रुख़

उनको उल्टा ना मोड़ दे।

ख़ास ख्याल रखना अपने

अनमोल नज़रों का

जिनमें खटकता था मैं

और मेरी चंचलता

कहिं धूल.......

उनमें ना पड़ जाय।

फिर देखोगें कैसे

अपनी अकड़ को

उस धूल में मिलते हुए?

~ पंकज गुप्ता

पंकज गुप्ता की अन्य किताबें

Sunita

Sunita

👌

29 दिसम्बर 2021

अविरल रुचि

अविरल रुचि

बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति🌷

22 दिसम्बर 2021

पंकज गुप्ता

पंकज गुप्ता

22 दिसम्बर 2021

शुक्रिया💐

1

एक उम्मीद

2 सितम्बर 2021
11
13
5

<p>कभी कभी सोचता हूँ</p> <p>तुम्हारी हमारी जिंदगी </p> <p>एक फ़ाइल की तरह है</p> <p>जिनमें तमाम

2

भाग रहे है..लेकिन क्यों?

3 सितम्बर 2021
8
8
1

<div><span style="font-size: 16px;">भाग रहे है..लेकिन क्यों?</span></div><div><span style="font-size

3

मैं मानव हूँ

30 सितम्बर 2021
7
5
5

<div><span style="font-size: 16px;">मैंने जीवन को कटते देखा है</span></div><div><span style="font-si

4

उठूँगा मैं धूल सा

22 दिसम्बर 2021
3
3
3

<p>तुम मुझे गिरा देना</p> <p>अपने विकृत मिथ्या से।</p> <p>छलनी कर देना</p> <p>मेरे चित्त को अपने</p>

5

एक दुआ

29 दिसम्बर 2021
9
4
4

<p>सुनो</p> <p>एक दुआ करना रब से</p> <p>भले ना मिलाएं मुझे</p> <p>मेरी सफलताओ से</p> <p>ना दीदार करा

6

आत्मचिंतन

1 जनवरी 2022
1
0
0

<p>भारत में फेमस होने के कई तरीके है। उनमें से प्रमुख दो तरीके हाल में ही सामने आए है। एक ये बोल दीजिये कि आजादी 1947 में नहीं, बल्कि 2014 में मिली है। दूसरी महात्मा गांधी या अन्य किसी विभूति की बुराई

7

रिश्ता

11 मार्च 2022
4
2
2

सुनो जब मैं चला जाऊंगा इस दुनिया से सदा के लिए तो रोओगी तुम पर मैं महसूस  ना कर पाऊंगा। भेजोगी फूल  और ख़त हमें पर देख ना पाऊंगा। मालूम है मुझे तुम तारीफों के  पूल बाँधोगी पर उस पर कैसे चढ़ पाऊंगा। म

8

लाल रंग

19 मार्च 2022
0
0
0

सुनो!मैंने आज सपना देखातुम्हारे बिस्तर के बगल मेंबैठ मैं निहार रहा थातुम्हारें अप्रतिम सौंदर्य को।फिर मालूम....मैंने चूमा तुम्हें इस कदरमानों कोई गर्म मोम होतुम्हारें कांधे पेतुम भी तो चाहती थीथोड़ा जल

9

आखिरी खत

23 मार्च 2022
1
0
0

है लिये हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधरऔर हम तैयार है सीना लिये अपना इधरखून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में हैसरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।हाथ जिनमें हो जुनून कटते नही तलवार सेसर जो उठ जाते

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए