यथास्थितीदिल डोले मन डोले, जब मोबाइल में बैटरी लो होले।मैंने खत सजन के नाम लिखा, वो अपना वाट्स अप तो खोलें। पहले प्रेमी, को याद करने के लिए प्रेमिका और गाती थी कि दिल लेके जा रहे हों कैसे जिएंगे हम? और अब
मापनी- २१२ २१२ १२२२ “मुक्तक” हर पन्ने लिख गए वसीयत जो। पढ़ उसे फिर बता हकीकत जो। देख स्याही कलम भरी है क्या- क्या लिखे रख गए जरूरत जो॥-१ गाँव अपना दुराव अपनों से। छाँव खोकर लगाव सपनों से। किस कदर छा रही बिरानी अब- तंग गलियाँ रसाव नपनों से