16 अगस्त 2018 पूर्व स्वर्गीय प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जीको ‘भाव भीनी श्रद्धांजली’ डॉ शोभा भारद्वाज स्वर्गीय प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने संसद में अटल जी के पहले भाषण पर अपनी प्रतिक्रियादेते हुए कहा था एक दिन अटल देश के प्रधान मंत्री पद पर पहुंचेगे |श्री अटल जी एक ऐसे प्रधा
रानीबेटी लाडली बेटी डॉ शोभाभारद्वाज भारतीय वायुसेना के पास फाईटर प्लेन उड़ाने वालीदस महिला पायलेट हैं फाईटर प्लेन सुपरसोनिक जेट्स उड़ाना आसान नहीं है इन्हें कठिन ट्रेनिग सेगुजरना पड़ता है | बनारस की प्लाईट लेफ्टिनेंट शिवानी सिंह दुनिया के सर्वोत्तमश्रेणी के फाईटर प्लेनों में से एक रफेल की पहली महिला प
निराश हूँ मैं आज बहुतअपने आपको पा के लाचार बहुतमौत बिखरी पड़ी हैं चारो ओरइतना बेबस कभी ना हुआ था मैंजितना आज खुद को पा रहा हूँ मैंहार सा गया हूँ खुद से मैं आज-अश्विनी कुमार मिश्रा
रोज की जिंदगी में हम लोग कई बार ऐसी परिस्थितियों से गुजरते हैं जब हमें समझौते करने पड़ते हैं , कभी रिश्तों में तो कभी अपने सपनों से । रोज ना जाने हम ना चाहते हुए भी जाने कितने समझौते कर लेते हैं सिर्फ यही सोच कर कि ठीक तो है ना । अगर मेरे ये करने से कोई रिश्ता बचता है तो ठीक तो है ना । अगर मेरे ये क
भूमिका:-प्रस्तुत कविता में जीवन के विभिन्न रूपों व पारिस्थितियों को, समय के माध्यम से समेटने की कोशिश रही है। साथ ही पाठक को यह दर्शाने का प्रयासहै कि नकारात्मक हालात जीवन का ही अंग हैं,अतः इनसे चिंतित न हो। अंत तक मानसिकता कोसकारात्मक बनाए रखने की कोशिश ही एक दिन सफलता दिलाएगी।हर पल, हलचलVIMAL KISH
हर व्यक्ति अपनी जीवन का हीरो स्वयं होता है जीवन में कठिनाइयां न हो तो इंसान कि परख नहीं हो सकती अगर हम मुश्किलों से डर जाए और घबरा कर भाग्य को दोष देने लगें तो इससे उत्थान कैसे संभव है रावण के बिना राम राम न होते बिना कंस के आतंक के कृष्ण कृष्ण न होते
“A man cannot directly choose his circumstances, but he can choose his thoughts, and so indirectly, yet surely, shape his circumstances.”― James Allenअगर आप अपने चारों तरफ देखें तो हर कोई जिंदगी में कुछ न कुछ पाने के लिए कठोर परिश्रम कर रहा है। परन्तु कुछ लोग कामयाब हो जाते है कुछ नहीं। अगर हम कामया
हार कर घर कर गई ।बना रहा था याद मे उसकी तस्वीर जो कभी मिली नहीं।गुम था उसी की यादों मे जो कभी बोली नहीं। चाहत थी उसे पाने की फूलो की तरह, वह फूल नहीं, माला बन गईं न जाने किसके गले का हार बन गई। हार गया उसे भी हार मे। हार के बगीचे मे बैठे सोचता रहा उस हार के बारे मे जो कभी अपना हुआ नहीं । रात भी गुजर
कहने वाले गलत कहते है कि जिंदगी में हार-जीत के कोई मायने नहीं है. हार, हार होती है और जीत, जीत. हर किसी को जीत का ही आशीर्वाद दिया जाता है. अगर हार-जीत का कोई मतलब नहीं है, तो फिर हार की दुआएं क्यों नहीं दी जाती. विनिंग मेडल हारने वालों के गले में क्यों नहीं डाला जाता. फेल होने वालों को अगली क्लास म
संस्कृत, हिंदी और विज्ञान स्वामी विवेकानन्दके अनुसार – दुनियाभर के वैज्ञानिक अपने नूतन परीक्षणों से जो परिणाम प्राप्त कररहे हैं, उनमें से अधिकांशहमारे ग्रंथों मे समाहित हैं। हमारी परम्परायें विकसित विज्ञान का पर्याय हैं ।हमारे ग्रंथ मूलत: संस्कृत भाषा में लिखे गये हैं ।
मापनी- २१२ २१२ १२२२ “मुक्तक” हर पन्ने लिख गए वसीयत जो। पढ़ उसे फिर बता हकीकत जो। देख स्याही कलम भरी है क्या- क्या लिखे रख गए जरूरत जो॥-१ गाँव अपना दुराव अपनों से। छाँव खोकर लगाव सपनों से। किस कदर छा रही बिरानी अब- तंग गलियाँ रसाव नपनों से
हार का उपहार बरसों परवानों को, दीपक कीलौ में जलते देखा है,शमा के चारों ओर पड़ेवे ढेर पतंगे देखा है. कालेज में गोरी छोरी कोघेरे छोरों को देखा है,खुद नारी नर की ओर खिंचे,ऐसा कब किसने देखा है. उसने क्या देखा, क्या जाने,किसकी उम्मीद जताती है,कहीं, ढ़ोल के भीतर पोल न हो,यह सोच न क्यों घबराती है. वह करती