जिसकी मिट्टी में ममता है,
आँचल प्यार का साया है !
प्रेम प्यार से सनी हुई,
जिसकी अद्भुत छाया है !!
यहीं आके हमको चैन मिले ,
यह कैसी तेरी माया है !
हम धन्य हुए माँ, प्यार तेरा हमने पाया है !!
हर पल हर छन तूने,
हमारा साथ निभाया है !
हम धन्य हुए तूने ,
हमको सीने से लगाया है !!
सूरज ने हर सुबह तुझे,
आकर शीश झुकाया है !
पर्वत हिमालय ने तुझे,
अद्भुत ताज पहनाया है !!
तेरी ही पवित्र सुगंध ने,
हर फूल को महकाया है !
अम्बर ने तेरे आँगन को,
सितारों से सजाया है !!
तेरा गुणगान तेरी महिमा को,
ऋषियों ने भी गया है !
तेरे ही तत्वो से बनी,
हमारी ये काया है !!
ममतामयी वरदायानी,
तेरी अद्भुत छाया है !
तेरी संतान होने का माँ,
गौरव हमने पाया है !!
- कुँवर दीपक रावत ©