मूक क़लम को साधकर
भावनाए बाँधकर
होठों पे गुनगुनाते हुये
आधे अधूरे से गीतों को
रात के अँधेरे में
दीपक के प्रकाश से
वह लिख रहा होगा
वह लिख रहा होगा
- कुँवर दीपक रावत
24 मई 2017
मूक क़लम को साधकर
भावनाए बाँधकर
होठों पे गुनगुनाते हुये
आधे अधूरे से गीतों को
रात के अँधेरे में
दीपक के प्रकाश से
वह लिख रहा होगा
वह लिख रहा होगा
- कुँवर दीपक रावत