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माँ

12 मई 2015

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बिना माँ के घर बेघर लगता है | माँ से दूर रहना मुझे कहर लगता है || ये सारा शहर , बैयब्बा लगता है | साथ में तेरे मेरा गावं भी शहर लगता है || तेरे हाथो से पिया ओ दो घूंट पानी अमृत लगता है ||

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