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नाम - मदन मोहन "मैत्रेय", पिता - श्री अमरनाथ ठाकुर, निवास स्थान - तनपुर, बिहार, शिक्षा - बी. ए., आप का जन्म बिहार प्रांत के दरभंगा अनु मंडल स्थित रतनपुर गांव में साधारण परिवार में हुआ है। इनकी शिक्षा–दीक्षा भी कठिन आर्थिक परिस्थितियों में संभव हो सका है। लेकिन इनमें लिखने की ललक बचपन से थी, जिसे ये समय के साथ ही परिमार्जित करते चले गए और ईश्वर की कृपा से सन ई. २०२२ में इनकी चार रचना प्रकाशित हो गई, जिसमें से तीन उपन्यास एवं एक काव्य संग्रह है। इनकी सभी रचनाएँ अमेजन एवं फ़्लिपकार्ट पर उपलब्ध है। इनकी प्रमुख रचना-: फेसबुक ट्रैजडी (उपन्यास) - यह कहानी आँन लाइन चेटिंग के दुष्परिणाम पर आधारित है। साथ ही इसमें अपराध, छल, प्रेम, घृणा, कर्तव्य और अपराध का विस्तृत वर्णन किया गया है। ओडिनरी किलर (उपन्यास)- यह उपन्यास पुरुष वेश्या (जिगोलो) पर आधारित है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि प्रतिशोध की भावना कितनी भयावह होती है। साथ ही अपराधी जब अपराध करने पर उतारू हो जाता, सिस्टम के लिए किस प्रकार से सिरदर्द बन जाता है, उसको बताया गया है। तरूणा (उपन्यास) – यह कहानी लिंग परिवर्तन(जेंडर चेंज) पर आधारित है। इसमें प्रेम है, घृणा है, अपराध है, तो प्रतिशोध भी है। इस कहानी में समाज में छिपे हुए कुछेक अपराधी प्रवृति के सफेदपोश का चरित्र चित्रण किया गया है। अरुणोदय (काव्य संग्रह) - यह कविता की पुस्तक है और इसमें जितनी भी कविताएँ है, प्रेरणा देने वाली है। हतोत्साहित हृदय को फिर से नव ऊर्जा से संचारित कर दे, ऐसी कविताएँ हैं। साथ ही आप की कविताएँ पत्र-पत्रिकाओं एवं एंथालाँजी में प्रकाशित होती रहती है। आप जो भी रचना करते है, वर्तमान परिस्थिति, सामाजिक विषय, रोचकता और युवा के जरूरत और महत्व को केंद्र में रखते है। इसलिये इनके कलम से समाज के अलग-अलग विषयों पर रचनाएँ की जाती है और आप अभी “रति संव

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-12-21
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-12-06
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-08-17
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-07-20
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-07-08
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-06-26
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-02-13

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काव्य कुंज-बोलो तो सहदेव

काव्य कुंज-बोलो तो सहदेव

कविताएँ निराश मन में आशाओं के दीप प्रज्वलित करती है। सार्थक कविताएँ हमें जीवन की राह बतलाती है, साथ ही मन में ग्रसित "हताशा" के भार को हटाती है। तब हम सकारात्मक होकर सोचते है। जीने के लिए उद्धत होते है और फिर से नव उर्जा से संचारित होकर पथ पर आगे बढन

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काव्य कुंज-बोलो तो सहदेव

काव्य कुंज-बोलो तो सहदेव

कविताएँ निराश मन में आशाओं के दीप प्रज्वलित करती है। सार्थक कविताएँ हमें जीवन की राह बतलाती है, साथ ही मन में ग्रसित "हताशा" के भार को हटाती है। तब हम सकारात्मक होकर सोचते है। जीने के लिए उद्धत होते है और फिर से नव उर्जा से संचारित होकर पथ पर आगे बढन

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चिंतन शिविर

चिंतन शिविर

यह एक आलोचनात्मक एवं व्यंगात्मक लेखन है। जिसमें क्रमानुसार विषयों को सहेजा गया है। इस पुस्तक में कोशिश की गई है कि यथार्त की जितनी ज्यादा समावेश हो सके, किया जाए। जिससे विषय वस्तु की उपयोगिता भी बनी रहे और पढने में रोचकता की भी उपलब्धि हो। मदन मोहन"

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यह एक आलोचनात्मक एवं व्यंगात्मक लेखन है। जिसमें क्रमानुसार विषयों को सहेजा गया है। इस पुस्तक में कोशिश की गई है कि यथार्त की जितनी ज्यादा समावेश हो सके, किया जाए। जिससे विषय वस्तु की उपयोगिता भी बनी रहे और पढने में रोचकता की भी उपलब्धि हो। मदन मोहन"

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बबंडर

बबंडर

यह कहानी आज के शिक्षित युवाओं की मनो व्यथा को दर्शाता है। वैसे तो यह कहानी लंबी नहीं है, परन्तु.....इसमें समाज में फैले हुए वैमनस्यता एवं उसके कारणों को समाहित किया गया है। साथ ही यह भी दिखाने की कोशिश की गई है, कि आज का युवा चाहे, तो कुछ भी कर सकता

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यह कहानी आज के शिक्षित युवाओं की मनो व्यथा को दर्शाता है। वैसे तो यह कहानी लंबी नहीं है, परन्तु.....इसमें समाज में फैले हुए वैमनस्यता एवं उसके कारणों को समाहित किया गया है। साथ ही यह भी दिखाने की कोशिश की गई है, कि आज का युवा चाहे, तो कुछ भी कर सकता

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लव सेंस

लव सेंस

यह भी एक छोटी सी कहानी है, जो कि आज के समय को परिभाषित करती है। आज-कल जिस प्रकार से युवा परिवारिक रिश्ते को महत्व नहीं देते और अलग रहने की कोशिश करते है। आज-कल जिस प्रकार से हमारे समाज में लव का मतलव सिर्फ और सिर्फ कामनाओं की पुर्ति रह गया है और जिस

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लव सेंस

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यह भी एक छोटी सी कहानी है, जो कि आज के समय को परिभाषित करती है। आज-कल जिस प्रकार से युवा परिवारिक रिश्ते को महत्व नहीं देते और अलग रहने की कोशिश करते है। आज-कल जिस प्रकार से हमारे समाज में लव का मतलव सिर्फ और सिर्फ कामनाओं की पुर्ति रह गया है और जिस

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रति संवाद

रति संवाद

कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जात

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रति संवाद

कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जात

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मधुशाला पार्ट १

मधुशाला पार्ट १

कहानी मुलत: प्रेम और सस्पेंस पर आधारित है। कहानी कई मोङ से टर्न होता है। कहानी के मुख्य पात्र रोनित और राजन, दोनों एक दूसरे के परम मित्र। जब रोनित अपने जीवन में उलझ जाता है। तो राजन उसे बाहर निकालने की कोशिश करता है। कहानी जो बस्तुत: उपन्यास है, के क

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ईबुक:

₹ 105/-

मधुशाला पार्ट १

मधुशाला पार्ट १

कहानी मुलत: प्रेम और सस्पेंस पर आधारित है। कहानी कई मोङ से टर्न होता है। कहानी के मुख्य पात्र रोनित और राजन, दोनों एक दूसरे के परम मित्र। जब रोनित अपने जीवन में उलझ जाता है। तो राजन उसे बाहर निकालने की कोशिश करता है। कहानी जो बस्तुत: उपन्यास है, के क

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भक्ति की धारा-संभवा एकाकार स्वरुप विश्वरुप

भक्ति की धारा-संभवा एकाकार स्वरुप विश्वरुप

इस पुस्तक में धर्म और अधर्म के बारे में बताने की कोशिश की गई है। मानव जीवन का सत्य उद्देश्य क्या है, उसकी व्याख्या की गई है। मानव जीवन में भक्ति की महता को निरुपीत किया गया है। साथ ही नारायण और उनके भक्तो का मधुर संबंध दृष्टांत के द्वारा बतलाया गया ह

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भक्ति की धारा-संभवा एकाकार स्वरुप विश्वरुप

भक्ति की धारा-संभवा एकाकार स्वरुप विश्वरुप

इस पुस्तक में धर्म और अधर्म के बारे में बताने की कोशिश की गई है। मानव जीवन का सत्य उद्देश्य क्या है, उसकी व्याख्या की गई है। मानव जीवन में भक्ति की महता को निरुपीत किया गया है। साथ ही नारायण और उनके भक्तो का मधुर संबंध दृष्टांत के द्वारा बतलाया गया ह

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आथर्व खेमका

आथर्व खेमका

नाम से यह उपन्यास है, तो स्वाभाविक ही है कि चरित्र विशेष होगा। कहते है न कि युवा अवस्था जीवन का वह पड़ाव है, जहां पहुंचने के बाद मन की इच्छा पंख लगा कर उड़ने की होती है।....वह भले-बुरे के भेद को न तो समझना चाहता है और न ही समझ पाता है। फिर तो उसका जो ह

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ईबुक:

₹ 69/-

प्रिंट बुक:

294/-

आथर्व खेमका

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नाम से यह उपन्यास है, तो स्वाभाविक ही है कि चरित्र विशेष होगा। कहते है न कि युवा अवस्था जीवन का वह पड़ाव है, जहां पहुंचने के बाद मन की इच्छा पंख लगा कर उड़ने की होती है।....वह भले-बुरे के भेद को न तो समझना चाहता है और न ही समझ पाता है। फिर तो उसका जो ह

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रजौली

रजौली

अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं सम

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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं सम

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गलियन में मच रही शोर सखी...

11 फरवरी 2023
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गलियन में मच रही शोर सखी'आयो बसंत, रस लिए होली आयो रे'रंगन को पड़े बौछार' भीगे अंग-अंग'प्रीति को मधुर फुहार' हिया हरषायो रे।।आयो उमंग लिए रसराज बसंत'सखी, हृदय अनुराग जग रही री'मिले-जुले रंग प्रेम के पड़

हे नभ' तुम सहज अति गंभीर.......

8 फरवरी 2023
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हे नभ' तुम सहज अति गंभीर'निराकार तेरा हृदय लिए आवरण'निराकर ही तेरा लगता रुप-शरीर'हुए मन प्रश्न मेरे उत्कंठा बन जागृत।मन दुविधा के जाल फंसा हूं कब से।बतलाओ तो' अब कौन धराए धीर?काश मेरे पंख लगे हो' होऊँ

तकते है कब से नैना मेरे.......

5 फरवरी 2023
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तकते है कब से नैना मेरे, बस राह तेरी'तपते जीवन के धूप में, चाहूं छाँव तेरी'जागे-जागे, हसरतें ले रहा है कब से करवटें"समझाऊँ कैसे? तेरा शागिर्द हूं, चाहूं पनाह तेरी।मैं तेरा हुआ, रस्में चाहतों का निभाना

ग्रहीत मन के मैल धुले न धुले.......

31 जनवरी 2023
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ग्रहीत मन के मैल धुले न धुले'यत्न से, तन का मैल रगड़ कर धोए’वह, निजता के भाव का राग सुनाए'भ्रम के जाल बनाए और द्वंद्व संजोए।।तनिक नहीं मरजाद' मानव का दिखलाए'कुछ तो ऐसे है, जो उलटी राग को गाए'मतलब का स्

भजन करुं तेरो, मेरे हृदय बसो हे राम......

27 जनवरी 2023
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भजन करूं तेरो, मेरे हृदय बसो हे राम।कौसल्या के लाल धनुर्धर, जगत हितकारी।प्रभु चरण की सेवा में, मन रमा रहे अवध बिहारी।तेरा बस हो जाऊँ, राघव जाऊँ तेरो रुप बलिहारी।हे दशरथ के लाल' प्रभु चरणों में करुं प्

मूर्धन्य' जीवंतता का वह.....

22 जनवरी 2023
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मूर्धन्य' जीवंतता का वह प्रथम लक्ष्य।सहजता को पाने का चलता प्रयत्न।अवसादों से कहीं दूर' ठौर हो, है यत्न।स्वाभाविक है, जीवंत होने को दिग-दिगंत।वह” आचरण की चक्कियों में पीसता खुद को।मानवता के आवरण को लप

अंधकार" मोह का जाल हृदय में लिपटा......

18 जनवरी 2023
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अंधकार" मोह का जाल हृदय में लिपटा"हे रघुनंदन' कह दूं, भजन तेरो हो पाए ना'लालसा कब से शूल बना अतिशय मन में'सीता के पति राम' स्मरण तेरो हो पाए ना।मैं मन भूला जीव जगत का, स्वामी हो तुम मेरे।भ्रम भाव से प

माधव' कब ते गए आज मिले हो....

17 जनवरी 2023
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माधव' कब ते गए आज मिले हो।पहले तो मिलते थे प्रगाढ़ प्रेम बस'कहते थे, अतिशय प्रेम के हो भूखे'जीम लिए थे सबरी के झूठन किए'प्रेम सहज बांकी छवि ‘हो अनुराग के भूखे।।माधव' आप का कित लगी करुं बराई।माधव' भक्त

रेखांकित मानक बिंदु पर" जीवन के

15 जनवरी 2023
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रेखांकित मानक बिंदु पर" जीवन के।खुद ही कसौटी कस कर देखा।काश" बदल पाऊँ स्वभाव हृदय का।अंतस में ज्योत" भाव जगे जीवन जय का।नूतन कर लूँ खुद का फिर से निर्माण।जीवन पथ पर कदम बढाऊँ, गाऊँ लय में गान।।पथ भूले

उपसंहार......

14 जनवरी 2023
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यह पुस्तक "चेतना शिविर" को मैंने अभी वर्तमान परिस्थितियों को देखकर ही लिखा है। इस पुस्तक में व्यंग से लेकर कई विषयों पर मंथन किया है। मैंने कोशिश की है कि" इसमें जो भी लेख हो, वर्तमान की समस्याओं को स

किताब पढ़िए

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