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भक्ति की धारा-संभवा एकाकार स्वरुप विश्वरुप

मदन मोहन मैत्रेय

9 अध्याय
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2 पाठक
21 सितम्बर 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

इस पुस्तक में धर्म और अधर्म के बारे में बताने की कोशिश की गई है। मानव जीवन का सत्य उद्देश्य क्या है, उसकी व्याख्या की गई है। मानव जीवन में भक्ति की महता को निरुपीत किया गया है। साथ ही नारायण और उनके भक्तो का मधुर संबंध दृष्टांत के द्वारा बतलाया गया है। मानव जीवन की दुविधा, उसकी उपलब्धि और जरुरतों का सचित्र चित्रण किया गया है। मदन मोहन "मैत्रेय 

bhakti ki dhara sambhava ekakar swarup vishvarup

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पुस्तक के भाग

1

भक्ति की धारा-संभवा एकाकार स्वरुप विश्वरुुप

1 जून 2022
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सबसे पहले तो मैं श्री गणेश की वंदना करता हूं। गौरी- महेश नंदन बिना विघ्न के मेरी इस रचना का पूर्ण करें। तत्पश्चात मैं वीणा धारनी शक्ति स्वरुपा जगदंबा शारदा की वंदना करता हूं। वे मुझे ज्ञान पुंज दे, जो

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भक्ति की धारा-भक्त विशेष

3 जून 2022
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जीवन तो ईश्वर प्रदत्त है, परन्तु हम जगत के प्राणी इसको अपना समझ बैठे है। हम इस शरीर को अपना समझ बैठे है, जो नाशवान है। पता नहीं कि कब यह शून्य हो जाये, कब शिथिल हो जाए। जैसे ही इसमें से आत्मा निकल जात

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भक्त कथा अमृत

5 जून 2022
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भक्ति की धारा प्रवाहित हो और उसमें भगवान के परम भक्तों की चर्चा नहीं हो, संभव ही नहीं। भक्तों के निर्मल चरित्र से हमें काफी कुछ सीखने-समझने का अवसर प्राप्त होता है। अब मैं आपको नारायण के ऐसे ही भक्त प

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भक्त कथा अमृत

7 जून 2022
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श्री बजरंग बली, अंजन सुत, पवन तनय वीर हनुमान की कथा भी इसी श्रेणी में आती है। महाबली हनुमान ग्यारहवें रुद्र है। बजरंग बली श्री राम के अनन्या-नन्य भक्त है। उनको राम नाम के अलावा जगत में कुछ भी तो प्रिय

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भक्त कथा अमृत

9 जून 2022
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भीष्म तो अपनी प्रतिज्ञा से हो गए, अन्यथा उनका नाम तो देवव्रत था। शांतनु और गंगा की आठवीं संतान और पिता के आज्ञाकारी। परशुराम शिष्य भीष्म साधारण नहीं थे, वे अजेय योद्धा थे। वे ऐसे वीर योद्धा थे कि उन्ह

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भक्त कथा अमृत

13 जून 2022
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नरसी मेहता महान कृष्ण भक्त थे. कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने उनको बावन बार साक्षात दर्शन दिए थे। नरसी मेहता का जन्म जूनागढ़, गुजरात में हुआ था. इनका सम्पूर्ण जीवन भजन कीर्तन और कृष्ण की भक्ति में

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भक्त कथा अमृत

17 जून 2022
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धर्म की परिभाषा देना न तो सहज है और न ही सुलभ। परन्तु इसको सरल बनाते है संत। भगवान के भक्त ही हमें भगवान की ओर उन्मुख करते है। संत ही मानव जीवन के लिए जहाज रूपी साधन है, जो भवसागर रूपी संसार से पार लग

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ईश्वर की अनुभूति

26 जून 2022
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विलासिता क्या है? अतिशय गुढ प्रश्न है। क्योंकि यह अखिल संसार ही इसके पीछे अंधी दौड़ लगा रहा है। भला सुख-सुविधा और उपभोग की वस्तुएँ किस को पसंद नहीं। कौन नहीं चाहता कि वह अच्छा पहने, अच्छा खाए और अच्छी

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ईश्वर के स्वरुप एवं भक्ति भाव-:

21 सितम्बर 2022
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भगवान सगुन और निर्गुण दो भावना से पुजे जाते है। निर्गुण स्वरूप का कोई आकार-प्रकार नहीं होता, जबकि सगुन स्वरूप में नारायण की विग्रह की पुजा होती है। जो अवतार रुप में अन्यथा नारायण रुप में।

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