कविताएँ निराश मन में आशाओं के दीप प्रज्वलित करती है। सार्थक कविताएँ हमें जीवन की राह बतलाती है, साथ ही मन में ग्रसित "हताशा" के भार को हटाती है। तब हम सकारात्मक होकर सोचते है। जीने के लिए उद्धत होते है और फिर से नव उर्जा से संचारित होकर पथ पर आगे बढने को लालायित हो जाते है। कविता वस्तुता रचना का पद्ध स्वरुप होता है, जिससे की हम गाते है। लेकिन जब रचनाएँ श्रेष्ठ होती है, हम गान तो करते ही है, साथ ही हम इससे प्रेरणा भी प्राप्त करते है। विशेष- इस पुस्तक "काव्य कुंज-बोलो तो सहदेव" को मैंने अपने पर-पितामह स्व. श्री सहदेव ठाकुर को समर्पित किया है। मदन मोहन"मैत्रेय
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