*फिजां में घुल रही है महक अदरक की ;*
*आज सर्दी भी चाय की तलबगार हो गई ..*
*अदाएं तो देखिए बदमाश चायपत्ती की ;*
*जरा दूध से क्या मिली, शर्म से लाल हो गई ..*
*थोड़ा पानी रंज का उबालिये,*
*खूब सारा दूध ख़ुशियों का,*
*थोड़ी पत्तियां ख़यालों की ..*
*थोड़े गम को कूटकर बारीक,*
*हँसी की चीनी मिला दीजिये,*
*उबलने दीजिये ख़्वाबों को ;*
*कुछ देर तक ..*
*यह ज़िंदगी की चाय है, जनाब ;*
*इसे तसल्ली के कप में छानकर,*
*घूंट-घूँट कर मज़ा लीजिये...!!!*
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