महाशिवरात्रि पर्वॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्तीयमामृतात् ||आज समस्त हिन्दू समाज भगवान शिव की पूजा अर्चना कापर्व महाशिवरात्रि का पावन पर्व मना रहा है | प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की कृष्ण पक्षकी चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के व्रत का पालन किया जाता है, जिसे शिव
श्री शिवाष्टकस्तोत्रम्आज महाशिवरात्रि कापावन पर्व है, शिव परिवार की पूजा अर्चना का दिन | भगवान शिव सभी का मंगलकरें इसी भावना के साथ प्रस्तुत है महामृत्युंजय मन्त्र और रुद्र गायत्री सहितश्री शिवाष्टकस्तोत्रम्...ॐ हौं जूँ सः ॐभूर्भुवः स्वः ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |उर्वारुकमिव बन्धनान
शिव पञ्चाक्षर स्तोत्रम्कल फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी, महाशिवरात्रि का पावन पर्व... सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिकशुभकामनाएँ...भोले बाबा के अभिषेक के लिए पारम्परिकरूप से कुछ विशिष्ट वस्तुओं का उपयोग किया जाता है | जिनमें प्रमुख वस्तुओं के नामतथा उनकी उपादेयता निम्नवत है...सुगन्धित जल : भौतिक सुख सुविधाओं
ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्तीयमामृतात् ||प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की कृष्ण पक्षकी चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के व्रत का पालन किया जाता है, जिसे शिव पार्वती के विवाह का अवसर माना जाता है – अर्थात मंगल के साथशक्ति का मिलन | कुछ पौराणिक मान्यताएँ इस प्रकार की
"भगवान शिव का कोई माता-पिता नहीं हैं ! उन्हें अनादि माना गया है! मतलब, जो हमेशा से था, जिसके जन्म की कोई तिथि नही!" कथक, भरतनाट्यम करते वक्त भगवान शिव की जो मूर्ति रखी जाती है, उसे "नटराज" कहते है!" किसी भी देवी-देवता की टूटी हुई मूर्ति की पूजा नही होती! लेकिन शिवलिंग चाहे कितना भी टूट जाए फिर भी पू
महाशिवरात्रि 2019कल फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी– महाशिवरात्रि पर्व | वर्ष में प्रत्येकमास की कृष्ण पक्ष की शिवरात्रि मास शिवरात्रि कहलाती है |इनमें दो शिवरात्रि विशेष महत्त्व की मानी जाती हैं – फाल्गुन माह की शिवरात्रिजिसे महाशिवरात्रि भी कहा जाता है और इसे शिव-पार्वती के विवाह का प्रतीक मानाजाता है | और