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हम मान लेते है उनकी हर बातफिर चाहे हो वो गलतया रूठे हमारे जज़्बातगुस्सा भी आता है रोना भीकहने से ज्यादा अब हो सा गया है जरूरीचुप रहना भीमनमानी भी आती हैं और नादानी भीअब लड़ने से ज्यादा आ गया है सहना भ
लड़ना झगड़ना बंद कर दिया है उसनेगुस्सा भी नहीं दिखाया करती हैजाने किस बात का बुरा लगा है उसे अपना तो छोड़ो पराया भी नहीं बताया करती हैयू तो करती रहती थी छोटी छोटी शिकायत पर अब वो बड़ी बड़ी ब