मैं मोबाइल फोन हूँ /
वर्तमान युग में -
मानवता के खातिर -
मानव द्वारा आविष्कृत -
एक अभूतपूर्व खोज /
मैंने सिमटा है दूरियों को -
ताकि इस विशालकाय पृथ्वी को
बनाया जा सके एक गांव /
मैंने मिलाये है -
कई अनजानों को /
बधें है कई जोड़ों पवित्र बंधन में -
मेरे ही खातिर /
मै ही कैमरा हूँ /
मैं ही घडी हूँ /
बैंकिंग, टीवी, रेडिओ
सबकी सुबिधा देने वाला -
मैं एक जादुई छड़ी हूँ /
फिर भी मुझपर आरोप लगते है /
निजता भंग करने के /
रिश्तों को तोड़ने के /
तो कभी ठहराया जाता है मुझे -
मानव को असामाजिक रूप देने के लिए /
फिर भी मै अपने अंदर -
नित नए परिवर्तनों के लिए -
तैयार हूँ /
ताकि बना सकू -
मानव जीवन को,
बेहतर से और बेहतर /
(चित्र गूगल से साभार )